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    कंधे में हो रही अकड़न को हल्‍के में न लें, इस गंभीर बीमारी का हो सकता है संकेत

  • September 01, 2022

    नई दिल्ली। फ्रोजन शोल्डर (frozen shoulder) को एडहेसिव कैप्सुलिटिस भी कहा जाता है, इसमें कंधे के ज्वॉइंट्स में अकड़न और दर्द (stiffness and pain) की समस्या का सामना करना पड़ता है. फ्रोजन शोल्डर के संकेत और लक्षण काफी धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं और समय के साथ ही दर्द काफी ज्यादा बढ़ जाता है. कंधे के दर्द को लंबे समय तक इग्नोर करने से फ्रोजन शोल्डर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा आमतौर पर किसी सर्जरी या चोट लगने के कारण होता है.

    फ्रोजन शोल्डर के बारे में बताते हुए एक महिला (woman) ने बताया कि उसकी दोस्त को गिरने के कारण कंधे में काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में महिला ने बताया कि कंधे में दर्द होना काफी आम है जो शोल्डर में चोट लगने के कारण होता है. लेकिन अभी भी लोग यह नहीं जानते कि इसे ठीक कैसे करना है.

    आमतौर पर, फ्रोजन शोल्डर की समस्या का सामना 40 से 60 साल की उम्र के बीच किया जाता है. महिलाओं को इस समस्या का सामना काफी ज्यादा करना पड़ता है.

    फ्रोजन शोल्डर की समस्या होने पर कंधे की मसल्स (shoulder muscles) में काफी ज्यादा अकड़न का सामना करना पड़ता है. जिसके मुख्य लक्षण कंधे में दर्द और सही तरह से काम ना करना है. फ्रोजन शोल्डर के कारण व्यक्ति को अपने रोजाना के काम करने में भी काफी दिक्कत होती है. इससे कई बार इलाज में दिक्कत आती है.

    डायबिटीज (diabetes) के मरीजों में फ्रोजन शोल्डर की समस्या का जोखिम 10 से 20 फीसदी होता है और दोनों की कंधों में इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं. फ्रोजन शोल्डर की समस्या से एकदम से छुटकारा नहीं मिलता. इसे ठीक होने में काफी समय लग जाता है.


    फ्रोजन शोल्डर के कारण
    कंधे के ज्वॉइंट्स के बाहर एक कैप्सूल होता है, फ्रोजन शोल्डर में यह कैप्सूल सख्त या स्टिफ होने लगता है, जिससे कंधे की गति काफी कम हो जाती है. इस बात का पता लगाना काफी मुश्किल है कि किन लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है लेकिन लंबे समय तक कंधे को स्थिर रखने के बाद ऐसा होने की संभावना ज्यादा होती है जैसे कि सर्जरी के बाद या हाथ में फ्रैक्चर.

    फ्रोजन शोल्डर के लक्षण
    फ्रोजन शोल्डर की समस्या तीन स्टेज में विकसित होती है.

    फ्रीजिंग स्टेज- कंधे के किसी भी मूवमेंट से दर्द होता है, और कंधे की मूवमेंट लिमिटेड हो जाती है.

    फ्रोजन स्टेज- इस स्टेज में दर्द कम हो सकता है. हालांकि कंधे में अकड़न काफी ज्यादा होती है और इसका इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हो जाता है.

    थॉइंग स्टेज- इस स्टेज में कंधे की मूवमेंट में थोड़ा सुधार होना शुरू हो जाता है.

    रिस्क फैक्टर
    ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके कारण फ्रोजन शोल्डर की समस्या बढ़ सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में-

    उम्र और सेक्स- 40 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों, खासतौर पर महिलाओं में फ्रोजन शोल्डर की समस्या काफी आम होती है.

    कंधे काम ना करना या बहुत कम काम करना- जिन लोगों का कंधा काफी लंबे समय तक रेस्ट की पोजीशन में रहता है उनमें फ्रोजन शोल्डर का खतरा काफी ज्यादा होता है. कई कारणों के चलते कंधे की मूवमेंट रुक सकती है जैसे-

    रोटेटर कफ की चोट

    आर्म का टूटना

    स्ट्रोक

    सर्जरी के बाद रिकवरी

    कैसे बचें फ्रोजन शोल्डर की समस्या से-
    फ्रोजन शोल्डर का सबसे आम कारण शोल्डर में चोट लगना, आर्म टूटना या स्ट्रोक के बाद कंधे में मूवमेंट का बंद हो जाना है. अगर चोट के कारण आप कंधे को नहीं हिला पा रहे हैं तो इसके लिए अपने डॉक्टर से बात करें और उनसे कुछ एक्सरसाइज का पूछें. इससे आपके कंधों में मूवमेंट होती रहेगी और फ्रोजन शोल्डर की समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा.

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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