मुंबई । मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) ने ने फर्जी टीकाकरण मामले (fake vaccination cases) में कहा कि ‘बड़ी मछली’ को न छोड़ें। फर्जी कोरोना टीकाकरण शिविरों की जांच कर रही मुंबई पुलिस को ऐसे मामलों में शामिल ‘बड़ी मछली’ की पहचान करनी चाहिए और उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उस कार्रवाई में सूचित करें, जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और नकली टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं। अदालत कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान की नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने पर कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है।
सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि उसे वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और बिस्तर पर पड़े अस्वस्थ लोगों को घर जाकर कोविड-19 का टीका लगाने का कार्यक्रम शुरू करने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत क्यों है?
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