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Sharadi Navratri-शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय न करें ये गलतियां

नई दिल्ली। Sharadi Navratri-अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्र (Sharadi Navratri) के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी । नवरात्रि (Navratri) के नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।

इसके साथ ही व्रत रखने वाला व्यक्ति पूजा करने के साथ-साथ रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो जाती है। जानिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन गलतियों को नहीं करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय
दुर्गा सप्तशती में 13 अध्यायों है जिसमे 700 श्लोकों के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इन 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है। इन चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जानते हैं।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान रखें ये बातें

शास्त्रों के अनुसार, वही व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ करें जिसने नवरात्र के समय अपने घर में कलश की स्थापना की है।

श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक पाठ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसके लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें। इसके बाद पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें। फिर माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें।

श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का पाठ जरूर करें। सभी पाठ पूर्ण माना जाता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन के साथ-साथ मन भी साफ होना चाहिए। इसलिए पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें।
दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले शापोद्धार करना सबसे जरूरी माना जाता है। अगर इसके बिना आप पाठ करते हैं, तो उसका फल नहीं मिलता है। क्योंकि इसके हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। इसके साथ ही तेज आवाज में पाठ न करें। अगर संस्कृत में कठिन लग रहा है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं।

दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र के अलावा कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

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