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    शालीग्राम की पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना रूठ जाएगी मां लक्ष्‍मी

  • August 05, 2022

    नई दिल्‍ली। हर व्यक्ति चाहता है कि मां लक्ष्मी उस पर मेहरबान रहे. कहते हैं जिस घर में शालिग्राम (Shaligram) की पूजा होती है वहां मां लक्ष्मी का वास होता है. शालिग्राम भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का ही विग्रह स्वरूप माने जाते हैं. शालिग्राम काले रंग के गोल चिकने पत्थर के रूप में होते हैं जिन्हें तुलसी जी के गमले में रखकर पूजा (Worship) करने का विधान है. जहां शालिग्राम की उपासना होती है वहां धन वैभव (wealth glory) की कमी नहीं आती लेकिन इनकी पूजा में कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए वरना श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) भी रूठ जाती हैं. आइए जानते हैं शालिग्राम जी की पूजा के नियम.


    घर में शालिग्राम जी की पूजा के नियम:
    शालिग्राम स्वयंभू हैं. इनकी आराधना के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती लेकिन जहां शालिग्राम जी की पूजा करते हैं वहां साफ-सफाई जरूर रखें. अन्यथा भगवान विष्णु की पूजा का फल नहीं मिलता और घर में तनाव की स्थित पैदा होने लगती है.

    घर में तुलसी जी (Tulsi ji) के गमले में शालीग्राम जी की पूजा उत्तम मानी जाती है. नियमित रूप से इनकी उपासना करें. ये क्रम टूटन नहीं चाहिए. रोजाना तुलसी का पत्ता शालिग्राम पर अर्पित करना शुभ माना जाता है.

    शास्त्रों में शालीग्राम जी की पूजा में अक्षत का उपयोग करना वर्जित है. अगर चावल चढ़ा रहे हैं तो उसे हल्दी में रंग लें और फिर अर्पित करें.

    शास्त्रों के अनुसार शालीग्राम जी को कभी किसी शादीशुदा व्यक्ति (married person) से न लेना चाहिए न ही उन्हें देना चाहिए. ये अशुभ माना जाता है. किसी संत शालिग्राम लेना उत्तम रहेगा.

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शालिग्राम जी अपार ऊर्जा का स्त्रोत माने जाते हैं. इनकी पूजा से घर में सकारात्मकर ऊर्जा का संचार होता है. शालीग्राम जी की पूजा में जरा भी अशुद्धि से नकारात्मक असर पूरे परिवार पर होता है. क्लेश होने लगते हैं. परिवार की सेहत बिगड़ने लगती है. व्यक्ति कर्ज में डूबने लगता है.

    नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना पर आधारित है हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं.

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