डेस्क: गणेश चतुर्थी आज मंगलवार को है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश जयंती मनाते हैं. इस तिथि का गणेश जी से संबंध है, इस वजह से इस तिथि को गणेश चतुर्थी कहते हैं. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना वर्जित होता है. विनायक चतुर्थी के दिन भी चंद्रमा नहीं देखते हैं. इससे दोष लगता है. यदि आप गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखते हैं तो आपकी छवि धूमिल हो सकती है. ऐसा क्यों होता है? इसके लिए आपको भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी घटना को जानना होगा. गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखने के बाद दोष से मुक्ति के भी उपाय हैं.
गणेश चतुर्थी 2023 पर कब होगा चंद्रोदय?
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि गणेश चतुर्थी यानि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा सुबह में ही निकल जाता है. आज गणेश चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय सुबह 09:45 ए एम पर है और चंद्रास्त रात 08:44 पी एम पर होना है. इस आधार पर देखा जाए तो आज चंद्रमा करीब 11 घंटे तक दिखाई देगा. आज चंद्रमा का दर्शन न करें.
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा क्यों नहीं देखना चाहिए?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने से व्यक्ति पर झूठा कलंक लगता है. इससे आपकी छवि धूमिल हो सकती है, आपकी प्रतिष्ठा, मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकता है. जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने चौथ का चांद देखा था तो उन पर चोरी का झूठा कलंक लगा था.
गणेश जी ने दिया था चंद्रमा को श्राप
एक बार गणेश जी भोजन कर रहे थे तो चंद्र देव उनके स्वरूप को देखकर उनका उपहास करने लगे. इस पर गणेश जी क्रोधित हो गए और चंद्र देव को श्राप दे दिया कि तुम अपना प्रभाव खो दोगे और सभी कलाएं भी खत्म हो जाएंगी. जो तुम्हें देखेगा, उसे भी दोष लगेगा. बाद में चंद्र देव ने क्षमा प्रार्थना की तो गणेश जी ने कहा कि महीने में 15 दिन तुम्हारा प्रभाव बढ़ेगा और 15 दिन कम होगा. गणेश जी के श्राप के कारण चतुर्थी पर चंद्रमा का दर्शन नहीं करते हैं.
चौथ का चांद देखने पर भगवान श्रीकृष्ण पर लगा मणि चोरी का आरोप
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने चौथ का चांद देख लिया था, तब उन पर स्यामंतक मणि चुराने का आरोप लगा था. अब इसे झूठे कलंक से मुक्ति के लिए वे स्यामंतक मणि की खोज में निकल पड़े. वह मणि जामवंत के पास थी. जामवंत ने उस मणि को एक शेर को मारकर प्राप्त किया था. हालांकि सूर्य देव ने स्यामंतक मणि को सत्यभामा के पिता को दिया था. जिसे पहनकर उनका पुत्र जंगल में गया, वहां शेर ने उसे मार डाला और उस मणि को अपने पास रख लिया था. उस शेर से स्यामंतक मणि जामवंत के पास पहुंच गई.
मणि की खोज में भगवान श्रीकृष्ण जामवंत के गुफा में पहुंच गए. वहां पर दोनों के बीच 27 दिन तक घमासान युद्ध हुआ, जिसमें जामवंत पराजित हुए. भगवान श्रीकृष्ण ने उनको अपने विष्णु स्वरूप के दर्शन कराएं. जामवंत ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ अपनी बेटी जामवंती का विवाह कराया. फिर स्यामंतक मणि और बेटी के साथ भगवान श्रीकृष्ण को विदा किया. इस तरह से भगवान श्रीकृष्ण पर लगा स्यामंतक मणि के चोरी का आरोप झूठा साबित हुआ.
गणेश चतुर्थी पर भूलवश देख लें चंद्रमा तो करें यह उपाय
यदि आप गणेश चतुर्थी पर गलती से चंद्रमा देख लेते हैं तो उसके दोष से बचने के लिए कुछ ज्योतिष उपाय कर सकते हैं. दोष से मुक्ति के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. उसके बाद पूजा में उपयोग किए गए फल, फूल, मिठाई आदि को चंद्रमा को दिखाकर किसी जरुरतमंद को दान कर दें. झूठे कलंक से मुक्ति के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें.
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:
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