नई दिल्ली। आंतरिक शांति (inner peace) जीवन को जीने के लिए उसका सुख और शांतिपूर्वक निर्वाह (living happily and peacefully) करने के लिए बेहद आवश्यक है। आज मनुष्य तरह -तरह की समस्याओं (variety of problems) से धिरा हुआ है। ऐसे में मंदिर एक ऐसी जगह है जहां तमाम समस्या होने के बावजूद व्यक्ति अंदर से शांत और आनंदित महसूस करता है। चाहे वह मंदिर हो या आपके घर का अंदर बना पूजास्थल (indoor shrine)। लेकिन पूजास्थल में भी यदि भगवान की मूर्ति (idol of god) सही तरीके से और उचित दिशा में न रखी जाएं तो व्यक्ति को तरह -तरह की परेशानियों से होकर गुजरना पड़ सकता है।
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के पूजा स्थल में देवी- देवता के रौद्र रूप की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। हमेशा सौम्य व शांत रूप वाली फोटो या मूर्ति रखनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति भीतर से शांत महसूस करता है।
2. घर के पूजास्थल में उत्तर -पूर्व दिशा में भगवान की प्रतिमा रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में देवी- देवताओं का वास होता है। ध्यान दें कि देवी- देवता का मुख पूर्व दिशा की ओर हो जैसे कि भारत के ज्यादातर मंदिरों में पाया जाता है।
3. पूजा स्थल में भगवान की बड़ी प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए।
4. पूजास्थल पर एक भगवान की दो से अधिक तस्वीर नहीं होनी चाहिए। दो या दो से अधिक तस्वीर रखना वास्तु शास्त्र के अनुसार उतना शुभ नहीं माना जाता है।
5. पूजास्थल पर खंडित मूर्ति की पूजा- अर्चना नहीं करनी चाहिए। यदि गलती से वह प्रतिमा खंडित हो गईं है तो उसे तत्काल नदी या तालाब में विसर्जित कर, नई मूर्ति की स्थापना कर दें।
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