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Diwali 2024: दिवाली पर इस शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजा, जानें पूजा विधि, उपाय और महत्व

October 30, 2024

नई दिल्ली: दिवाली (Diwali), भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता है. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और ज्ञान पर अज्ञानता की जीत का प्रतीक है.दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है, जो अंधकार को दूर कर प्रकाश लाते हैं. यह प्रतीक है कि ज्ञान और अच्छाई हमेशा अज्ञानता और बुराई पर विजय प्राप्त करती है.

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा (Worship of Goddess Lakshmi on Diwali) की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं. माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. भारत के कुछ हिस्सों में दिवाली को नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन नए काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है. इस वर्ष दिवाली का पर्व कल यानी 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दिवाली की शाम को किस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी- गणेश जी का पूजा करें. आइए जानते हैं.

पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. यह समय देवी लक्ष्मी की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से मध्य रात्रि तक रहेगा. इस दौरान घरों में साफ-सफाई करके, दीप जलाकर, और मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.


प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त का समय: 31 अक्टूबर 2024, शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक पूजा की जा सकती है.
वृषभ काल में पूजा मुहूर्त का समय: 31 अक्टूबर 2024, शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक पूजा का समय रहेगा.
निशिता काल में पूजा मुहूर्त का समय: 31 अक्टूबर 2024, रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 21 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की अच्छे से साफ सफाई करें. ध्यान रखें दिवाली के दिन घर के किसी भी कोने में धूल या गंदगी जमा नहीं होनी चाहिए. मान्यता है कि लक्ष्मी मां सिर्फ ऐसे ही घरों में निवास करती हैं जहां साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. सफाई के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें, इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल में पूजा अर्चना करें. इसके बाद शाम के समय की पूजा के लिए पूरे घर को फूल और पत्तियां से सजाएं. दरवाजों पर तोरण लगाएं और घर के मुख्य द्वार को विशेष रूप से सजाएं. मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार और पूजा स्थल के पास रंगोली बनाएं.

अब पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. इस दिन धन की भी पूजा की जाती है इसलिए पूजा स्थल पर धन भी जरूर रखें. कुबेर जी की भी तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. पूजा स्थल पर फूल, रंगोली और चंदन से सजावट करें. अब शुद्ध घी का दीपक और सुगंधित धूप जलाकर गणेश जी, लक्ष्मी जी और कुबेर जी को रोली, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें और आरती करें. आप चाहें तो पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्र और कुबेर मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. पूजा के बाद भोग लगाएं. इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. पूजा के बाद पूरे घर में दीपक जलाएं.

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को हाथी बहुत प्रिय माना जाता है. इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर में चांदी या सोने की धातु का ठोस हाथी रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से राहु के बुरे प्रभाव का असर कम हो जाता है. पीली कौड़ियां देवी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती हैं. दिवाली के दिन सफेद कौड़ियों को हल्दी के घोल में भिगोकर उन्हें पीला कर लें और इनको लाल कपड़े में बांधकर दिवाली के पूजन में रखें. पूजा के बाद इनको घर की तिजोरी में रखें दें. मान्यता है कि ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है.

दिवाली का पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है. दिवाली के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के उत्सव मनाते हैं. दीपदान करना दिवाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. माना जाता है कि दीपदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.दिवाली के दिन पटाखे जलाने की परंपरा है, दिवाली के दिन मिठाई बनाना और बांटना भी एक परंपरा का हिस्सा है.

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