नई दिल्ली (New Delhi)। रोशनी, उमंग का त्योहार दिपावली (Diwali ) हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस बार दीपोत्सव यानी दिवाली 12 नवंबर 2023 को है. पांच दिवसीय इस पर्व में सुबह-शाम रंगोली बनाई जाती है, प्रदोष काल में दीपक जलाने का विधान है. दिवाली पर खासकर मिट्टी के दीप (earthen lamps) प्रज्वलित करने का महत्व है. जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर सीता संग अयोध्या लौटे थे तो पूरा शहर दीपों से जगमजगा उठा था. श्रीराम के स्वागत में चारों तरफ रोशनी ही रोशनी थी. प्राचीन काल से ही शुभ कार्य से पहले दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है. ..
दिवाली पर क्यों जलाए जाते हैं दीपक
दिवाली के दिन मिट्टी के दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. मिट्टी का दीपक पंचतत्वों से मिलकर बनाता है जो घर और आसपास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.
ऋग्वेद के अनुसार दीपक में देवताओं का तेज रहता है, इसकी रोशनी से यश और प्रसिद्धि प्राप्त होती है. सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
दिवाली मां लक्ष्मी की हर घर में पूजा होती है इसलिए इस दिन घर का कोई भी कोना अंधेरे में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि धन की देवी वहीं विराजमान होती हैं जो घर प्रकाशवान हो. कई लोग दिवाली की पूरी रात एक दीपक प्रज्वलित कर रखते हैं ताकि मां लक्ष्मी स्थिर हो जाएं. कहते हैं ऐसा करने पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
दिवाली पर दीपक जलाने का मंत्र
मान्यता है कि पूजा-पाठ में हर काम के लिए धार्मिक ग्रंथों में मंत्र बताए गए हैं. इनका उच्चारण करते हुए शुभ कार्य किया जाए तो उसका प्रभाव ज्यादा होता है. दिवाली पर दीपक जलाते वक्त इस मंत्र का जाप करें – शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।। मान्यता है इस मंत्र से वास्तु दोष दूर होता है.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से है, हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.
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