नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ एवं मांगलिक कार्यों के दौरान दीपक को जलाने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार दीये के प्रकाश से न सिर्फ अंधेरा बल्कि नकारात्मकता भी दूर होती है. दीये को शुभता और सौभाग्य का कारण माना गया है. यही कारण है कि न सिर्फ दीपावली बल्कि अन्य प्रमुख पर्वों पर तमाम कामनाओं को लिए हुए लोग दीपदान करते हैं. अगर आपको दीपदान करने का स्थान, दीपदान की विधि, दीपदान के उपाय और उससे होने वाले धार्मिक लाभ के बारे में नहीं पता है तो यह लेख आपके बहुत काम का है.
किसी भी पवित्र स्थान पर दीपदान करने के लिए सबसे पहले तन और मन से पवित्र होना बहुत जरूरी माना गया है. इसके बाद आप मिट्टी के दीये में शुद्ध घी या तेल डालकर उस स्थान पर ले जाकर किसी पत्ते या आसन पर पर दीये को रखें. यदि आप इसे नदी में कर रहे हैं तो इसे पत्ते से बने दोने में रखकर प्रवाहित कर दें. ध्यान रहे कि कभी भी दीये को सीधे भूमि में न रखें, क्योंकि यह बड़ा दोष माना गया है. यदि किसी पवित्र स्थान पर रख रहे हैं तो वहां पर किसी पात्र या फिर अक्षत रखकर ही दीपदान करें.
यदि आप दिवाली (Diwali 2023) के दिन दीपदान करके पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस पावन पर्व वाले दिन गंगा नदी के किनारे जाकर जरूर दीया जलाना चाहिए. गंगा तट पर न सिर्फ कार्तिक मास की अमावस्या यानि दिवाली बल्कि देव दीपावली के दिन भी दीपदान करने का महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी पर सभी देवी-देवता दिवाली मनाने के लिए आते हैं. काशी में इस दिन गंगा तट पर हजारों की संख्या में दीये जलाए जाते हैं. गंगा तट के अलावा आप दिवाली पर किसी मंदिर, जल तीर्थ, पवित्र पेड़, खेत-खलिहान, पुस्तक, तिजोरी, अन्न के भंडार आदि के पास भी दीपदान कर सकते हैं.
हिंदू मान्यता के अनुसार दिवाली के दिन दीपदान करने पर व्यक्ति को धन की देवी मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि दिवाली के दिन जो व्यक्ति अपने घर के मेन डोर के पास स्वास्तिक बनाकर शुद्ध घी का दीया जलाता है, उसके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है. यदि आपके पास शुद्ध घी न हो तो आप सरसों के तेल का दीया जलाकर इस पुण्यफल को प्राप्त कर सकते हैं.
हिंदू मान्यता के अनुसार दीपदान करने पर जो पुण्यफल प्राप्त होता है, उससे व्यक्ति को सुख-सौभाग्य के साथ धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है दीपदान के पुण्यफल से आकाल मृत्यु का भय और नवग्रहों का दोष दूर होता है. दीपदान करने पर देवी-देवताओं के साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. दीपदान करने से जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है.
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