इन्दौर। कृत्रिम अंगों के लिए विभिन्न क्षेत्रों से 12 बसों में दिव्यांग अमरदास हॉल पहुंचे, लेकिन हॉल के अंदर चाकचौबंद व्यवस्था का सिर्फ आश्वासन ही दिखा। मुख्य गेट से 100 मीटर से अधिक की दूरी दिव्यांगों को घिसटकर पार करना पड़ी। प्रशासन ने सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग को जिम्मा सौंपा, लेकिन कर्मचारी और अधिकारी एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते रहे।
अंगों की उम्मीद में 12 बसों से पहुंचे दिव्यांगों के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी नजर नहीं आया। विभाग की आला अधिकारी सुचिता फिरकी बेग को जानकारी ही नहीं थी कि कितनी ट्रायसाइकिल, व्हीलचेयर, कानों की मशीन, कृत्रिम हाथ-पैर की व्यवस्था की गई है। कृत्रिम अंगों के लिए पहुंचे 1 हजार से अधिक दिव्यांग समस्याओं से संघर्ष करते रहे। आज प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिवस पर जनसहयोग शिविर के माध्यम से कृत्रिम अंगों के वितरण का आयोजन किया गया था।
कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी सहित विभिन्न क्षेत्र के पार्षद और अधिकारी मौजूद थे। 11.30 बजे से शुरु होने वाले कार्यक्रम के लिए 10 बजे से दिव्यांगों को एकत्रित किया गया, लेकिन विभाग के कर्मचारी व्हीलचेयर की व्यवस्था करना ही भूल गए। बांटी जाने वाली नई कुर्सियों के इस्तेमाल के लिए भी आपसी हुज्जत करते रहे। 2 व्हीलचेयरों को हजार से अधिक दिव्यांगों को हॉल में लाने के लिए तैनात किया गया, लेकिन व्हीलचेयर पर कोई भी कर्मचारी नजर नहीं आया।
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