जहां से कांग्रेस ने हार का सामना किया, वहां नेतृत्व के बदलाव के संकेत
इन्दौर। कांग्रेस को जिस तरह से उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा और सत्ता से तीन साल के लिए दूर होना पड़ा है, उससे अब कांग्रेस में बदलाव की बयार शुरू होने वाली है। कई जिलाध्यक्ष इसकी भेंट चढ़ सकते हैं।
28 सीटों की समीक्षा के उपरांत संगठन की कमजोरी भी सामने आई है। कई पदाधिकारियों ने तो काम ही नहीं किया, जिसके कारण कांग्रेसी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के बड़े नेताओं का यह भी मानना है कि अगर पदाधिकारियों ने जवाबदारी से काम किया होता तो कांग्रेस से भाजपा में गए उम्मीदवारों को इतने वोटों की बढ़त नहीं मिलती। इन्दौर में तो शहर और जिले की कार्यकारिणी पहले ही भंग कर दी गई थी, केवल कार्यकारिणी के नाम पर दो अध्यक्ष ही शहर में हैं। भोपाल से मिले संकेतों के आधार पर हार वाली विधानसभा सीटों के जिलाध्यक्षों को हटाने की तैयारी है और नए ऊर्जावान चेहरों को अध्यक्ष बनाकर मौका दिया जाएगा। जनवरी में निकाय चुनाव होने वाले हैं और अगर ऐसी ही स्थिति रही तो कांग्रेस यहां से भी हाथ धो बैठेगी। यूं भी अभी 18 नगर निगम में कांगे्रस का एक भी महापौर नहीं है, इसलिए चुनाव के पहले ही कांग्रेस संगठन में व्यापक फेरबदल किया जाएगा और प्रदेश स्तर पर भी नए चेहरों को संगठन में शामिल किया जाएगा।
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