भोपाल। भोपाल जिला पंचायत (Bhopal District Panchayat) की कई महत्पूर्ण मुद्दों में बुधवार को होने वाली बैठक नहीं हो पाई बैठक में पहुंचे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों ने कहा कि जिला पंचायत सीईओ बैठक में नहीं पहुंचे इसलिए उन्होंने इसका बहिष्कार कर दिया, जबकि सीईओ ऋतुराज ने बताया कि बुधवार को बैठक रखी गई थी लेकिन बैठक के पहले ही राजनीतिक दलों के सदस्य हंगामा करने लगे इसलिए बैठक में वे नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा है कि गांवों के विकास में किसी प्रकार की परेशानी नहीं (no problem in the development of villages) आएगी।
गौरतलब है कि बुधवार को दोपहर 12 बजे से जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन की मीटिंग थी। अध्यक्ष रामकुंवर गुर्जर, उपाध्यक्ष मोहन जाट समेत सभी सदस्य मीटिंग में समय पर पहुंच गए, लेकिन सीईओ ऋतुराज सिंह आधे घंटे बाद तक भी मीटिंग में नहीं पहुंचे। इस वजह से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों ने मीटिंग का विरोध कर दिया। बहिष्कार करते हुए वह मीटिंग हॉल से बाहर निकल गए। मीटिंग में पानी, स्वास्थ्य, सड़क जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होनी था।
सदस्यों ने बताया कि सीईओ ऋतुराज सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया है। अध्यक्ष ने कहा कि सीईओ किसी की नहीं सुनते हैं। इसलिए निंदा प्रस्ताव लाए हैं। उपाध्यक्ष मोहन जाट ने कहा कि डीईओ एके त्रिपाठी के विरुद्ध पिछली बैठकों में निंदा प्रस्ताव लाए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए विरोध जताया है। जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे। सदस्यों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के कोई काम नहीं हो रहे हैं। इसलिए यह विरोध किया है। आगे भी यह मुद्दा लेकर जाएंगे।
दोपहर 1 बजे साधारण सभा की बैठक में भी जमकर हंगामा हुआ। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सभी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराना चाहते थे। बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, पीएचई, उद्यानिकी, कृषि, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, प्रधानमंत्री सड़क योजना, पीडब्ल्यूडी, आदिम जाति कल्याण, वन, महिला एवं बाल विकास, मत्योद्योग, पशु चिकित्सा सेवाएं, पंजीयन सहकारी सेवाएं, उप पंजीयक सहकारी समिति, खेल समेत जिपं के अंतर्गत मनरेगा, जल जीवन मिशन, स्वच्छता मिशन, मध्याह्न भोजन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, जलगंगा अभियान, पौधारोपण अभियान (एक पेड़ मां के नाम), 15वां वित्त आयोग अंतर्गत वर्ष 2024-24 की कार्ययोजना समेत अन्य विषयों पर चर्चा होनी थी।
भोपाल जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 10 से सदस्य रश्मि भार्गव ने बताया कि पिछले 6 महीने से बैठक नहीं हुई है, जबकि नियम के अनुसार हर 3 महीने में बैठक होनी चाहिए। बैठक नहीं होने से जनता के काम प्रभावित होते हैं। सभी सदस्य अपने क्षेत्र की सभी समस्याओं को लेकर बैठक में पहुंचते हैं। अब ऐसे में सीईओ द्वारा इस तरह का निर्णय लेना उचित नहीं है। उन्हें बैठक करवानी चाहिए भले ही हंगामा हो रहा था। उन्होंने बताया कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी थी लेकिन बैठक नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
मीटिंग नहीं होने से गांव के विकास से जुड़े काम अटक गए। सदस्यों का कहना है कि मीटिंग नहीं होने से वे गांव से जुड़े पानी, सड़क, नाला-नाली निर्माण, बिजली कनेक्शन समेत जनता से जुड़े अन्य विषय नहीं उठा पा रहे थे। इसलिए बुधवार को होने वाली मीटिंग में कई मुद्दों पर चर्चा होनी थी। बता दें कि मीटिंग ही एक ऐसा प्लेटफार्म होता है, जब सभी विभागों के अफसरों से जिपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य रूबरू होते हैं। पिछली बैठकों में तो उपाध्यक्ष और सदस्यों की अधिकारियों पर भड़ास भी निकली थी।
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