उज्जैन। कोरोना की तीसरी लहर कमजोर पडऩे के बाद से जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बीमार होने लगी है। पहले गर्मी के दिनों में मरीजों को अपने साथ घर से पंखे और कूलर लेकर आना पड़ रहा था। अब तकिए और चादर की व्यवस्था भी खुद जुटानी पड़ रही है। संभाग के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल में पिछले 8 महीनों से मरीजों को उपचार के दौरान मिलने वाली सुविधाएं कम होती जा रही हैं। कोरोना काल में जब पहली, दूसरी और तीसरी लहर चल रही थी तब व्यवस्थाओं पर ध्यान दिया जा रहा था, लेकिन उसके बाद जब हालात सुधरे तो जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं पर ध्यान देना प्रबंधन ने कम कर दिया। अस्पताल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि डॉ. पीएन वर्मा से पहले सिविल सर्जन रहे डॉक्टरों ने 700 बिस्तरों वाले जिला अस्पताल के पलंगों के लिए समय-समय पर खराब हो चुके गद्दे, तकिए और चादरों के स्थान पर नए हेतु स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर डिमांड भेजी।
इतना ही नहीं पूर्व सिविल सर्जनों ने इसके लिए कई स्वयंसेवी संस्थाओं और दानदाताओं को भी जिला अस्पताल को चादर, तकिए आदि का दान देने के लिए प्रेरित किया था। इस पर जिला अस्पताल को सहयोग भी मिला था, लेकिन वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा द्वारा पदभार लेने के बाद से एक बार भी अस्पताल में पुराने हो चुके तथा फट चुके गद्दे, तकिए और चादरों को बदलने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए। यही कारण है कि जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती होने वाले मरीज तकिए और चादर घर से लाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। गर्मी के दिनों में भी जिला अस्पताल के विभिन्न वार्डों में लगे सालों पुराने पंखे अधिकांश बंद पड़े थे और जो चल रहे थे वे हवा नहीं दे रहे थे। यही कारण था कि उस दौरान मरीज गर्मी से बचने के लिए अपने घर से पंखे, कूलर लाकर उपचार करा रहे थे।
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