नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यू-ट्यूब से मुआवजे की मांग वाली एक याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता ने अपनी PIL में कहा था कि YouTube के विज्ञापनों में यौन सामग्री के चलते वह परीक्षा के दौरान अध्ययन करते समय कथित रूप से भटक गया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. याचिकाकर्ता ने YouTube पर विज्ञापनों में अश्लील सामग्री दिखाने के लिए Google India से 75 लाख रुपये का मुआवजा दिलाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी, जिसके चलते उसका ध्यान भटक गया और परीक्षा में वह असफल हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत 1 लाख रुपये का जुर्माना लगा सकती है, लेकिन हमने राशि कम रखी है. आपको लगता है ऐसी बेतुकी याचिकाएं फाइल कर सकते हैं. भुगतान नहीं करेंगे तो वसूली की जाएगी. जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा कि यह सबसे बेतुकी याचिकाओं में से एक है. कोर्ट का समय बर्बाद किया. अदालत याचिका खारिज करती है और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाती है. याचिकाकर्ता मध्य प्रदेश का आनंद किशोर चौधरी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया है.
याचिकाकर्ता ने विज्ञापन क्यों देखा- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस संजय किशन कौल ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई सबसे बेतुकी याचिकाओं में से एक में है. याचिका में कहा गया कि जब याचिकाकर्ता मध्य प्रदेश पुलिस परीक्षा की तैयारी कर रहा था. तब उसने YouTube की सदस्यता ली, जहां यौन विज्ञापन थे. उन्होंने यूट्यूब को नोटिस और विज्ञापनों में न्यूडिटी पर रोक लगाने और 75 लाख रुपये मुआवजे की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपको विज्ञापन पसंद नहीं है तो इसे न देखें. याचिकाकर्ता ने विज्ञापन क्यों देखा, क्या यह उसका विशेषाधिकार है?
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