नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा (By the Supreme Court) सोमवार को (On Monday) केंद्र सरकार के (Central Government’s) नोटबंदी के फैसले ((Decision of Demonetisation) को सही ठहराने पर (On Justification) पूर्व वित्त मंत्री (Former Finance Minister) पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने कहा कि फैसले का असहमति वाला हिस्सा (Dissenting part of the Judgment) अनियमितताओं की ओर इशारा कर रहा है (Pointing Out Irregularities) ।
चिदंबरम ने एक बयान में कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले को सही ठहराया है, हम इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं। लेकिन यह इंगित करना आवश्यक है कि बहुमत ने निर्णय के ज्ञान को बरकरार नहीं रखा है और न ही बहुमत ने निष्कर्ष निकाला कि नोटबंदी के घोषित उद्देश्य हासिल किए गए थे। उन्होंने कहा, हमें खुशी है कि अल्पमत के फैसले ने नोटबंदी में अवैधता और अनियमितता की ओर इशारा किया है। यह सरकार पर एक तमाचा है। उन्होंने कहा कि असहमति का फैसला सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में दर्ज प्रसिद्ध असहमति में शुमार होगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के 2016 के 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर मुहर लगा दी। न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बहुमत से सरकार के फैसले पर मुहर लगाई। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति नागरत्न दृष्टिकोण बहुमत से भिन्न था।
कॉंग्रेसी नेता जयराम रमेश ने कहा, यह कहना कि नोटबंदी का फैसला सही था, पूरी तरह से भ्रामक और गलत है। न कुछ अधिक, न कुछ कम। एक न्यायाधीश ने अपने असहमतिपूर्ण मत में कहा है कि संसद की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के प्रभाव पर कुछ भी नहीं कहा गया है, जो एक विनाशकारी निर्णय था। उन्होंने कहा, नोटबंदी ने विकास की गति को नुकसान पहुंचाया, एमएसएमई को पंगु बना दिया, अनौपचारिक क्षेत्र को समाप्त कर दिया और लाखों लोगों की आजीविका नष्ट कर दी। फैसले में यह कहने के लिए कुछ नहीं है कि नोटबंदी के घोषित उद्देश्य पूरे हुए या नहीं। इनमें से कोई भी लक्ष्य, चलन में मुद्रा को कम करना, कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना, जाली मुद्रा पर अंकुश लगाना, आतंकवाद को समाप्त करना और काले धन का पता लगाना आदि को उद्देश्यों को हासिल नहीं किया जा सका।
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