पटना (Patna) । आरक्षण (Reservation) के अंदर आरक्षण के मुद्दे पर अब NDA में रार छिड़ती नजर आ रही है। केंद्र की NDA सरकार में सहयोगी एक और पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री ने कोर्ट (Court) के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि स्वार्थ के लिए कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Union Minister Jitan Ram Manjhi) ने यह भी कह दिया है कि 76 साल से चार जातियों ने ही SC आरक्षण का लाभ लिया है।
दरअसल अभी हाल ही में देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST)को मिले आरक्षण में सब कैटेगरी बनाने के पक्ष में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अदालत के फैसले के बाद कई लोगों ने इसपर अपनी राय रखी थी। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अदालत के फैसले पर सहमति नहीं जताई थी और कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही थी।
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले पर अपनी बात रखी है और कोटा के अंदर कोटा के फैसले को जायज ठहराया है। पत्रकारों से बातचीत में जीतन राम मांझी ने कहा, ‘सात जजों ने नोट दिया है उसमें से एक जज ने सिर्फ वैसा कहा है। सवाल यह है कि हम लोग तो हर तरह से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का समर्थन करते हैं। वो अच्छा है। बिहार में खासकर नीतीश कुमार ने साल 2011-12 में ही यह व्यवस्था कर दी थी कि अनुसूचित जातियों में दलित और महादलित होंगे। तो उस वर्गीकरण को भी कुछ लोगों ने कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने अमान्य कर दिया था।
उसी चीज को सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा है। बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में अनुसूचित जाति या जो कम पिछड़े लोग है उनके लिए जो आरक्षण की व्यवस्था की है वो स्वागत योग्य है। अगर सिर्फ एक पीढ़ी की बात है तो अदालत का यह कोई जनरल फैसला नहीं है बल्कि सिर्फ एक जज की मान्यता है।’
स्वार्थ के लिए चुनौती, समाज के लिए नहीं – मांझी
इसके बाद जब पत्रकारों ने जीतन राम मांझी से पूछा कि चिराग पासवान ने इसी फैसले का विरोध किया है? तब इसपर मांझी ने कहा, ‘यह लोगों का अपना-अपना विचार है। बाबा भीम राव अंबेडकर ने भी जब आरक्षण की बात की थी तब उन्होंने कहा था कि हर दस साल पर इसकी समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने समीक्षा की बात कही थी पुनर्विचार की बात नहीं कही थी। पुनर्विचार और समीक्षा में फर्क होता है। समीक्षा इसलिए ताकि यह पता चल सके कि दस साल में हमने क्या खोया और क्या पाया।
लेकिन आज आजादी के 76 साल हो गए हैं, क्या एक बार समीक्षा हुई है? हमने बाबा भीमराव अंबेडकर की कही बातों पर अमल नहीं किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने किया। अदालत ने कहा कि जो लाभ लेकर आगे बढ़ गए हैं उनको मत दबाइए लेकिन जो अभी भी पीछे हैं उनको तो आगे बढ़ाइए। इसलिए यदि कोई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की बात करता है तो मैं कहता हूं कि वो अपने स्वार्थ के लिए किया है, समाज के लिए नहीं किया है।’
यह जजमेंट 10 साल पहले आना चाहिए था – मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सवाल उठाते हुए कहा कि भुइयां, मुसहर, डोम, मेहतर जो हमारे पिछड़ी जाति के हैं उस जाति के कितने आईएएस और आईपीएस अफसर हैं? कितने चीफ इंजीनियर हैं? जो चार जातियां आज क्षोभ व्यक्त कर रही हैं उनका तो सब है। इसका क्या मतलब है कि वो ही लेते रहें आरक्षण, 76 वर्ष तो किया उन्होंने।
इसके बाद मोदी सरकार के मंत्री ने कहा, ‘यह कहां कि बात है कि जो आदमी बढ़ गया है वो बढ़ते रहे और जो आदमी पीछे है उसका केयर नहीं किया जाए। इसीलिए हम हर हालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। यह जजमेंट 10 साल पहले आना चाहिए था। अंबेडकर साहब की मान्यता है कि साक्षरता मानदंड है सबसे नीचे होने का। शिड्यूल कास्ट की साक्षरता दर 30 फीसदी है। उसमें भुइयां, डोम, मेहतर, नट इन सब का साक्षरता दर 15 फीसदी से नीचे है। इसलिए जिसका 30 प्रतिशत है साक्षरता दर उसको सुविधा मिलनी चाहिए लेकिन जिसकी साक्षरता 7 या 8 फीसदी है उसको तो पुश करना ही चाहिए।’
चिराग पासवान ने क्या कहा था…
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए इससे पहले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था, ‘हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति का आधार छुआछूत है। इसका आर्थिक या शैक्षणिक आधार नहीं है। ऐसे में कोटा के अंदर क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं हो सकता है। चिराग पासवान ने कहा था कि आज भी दलित युवक का उदाहरण दिया जाता है, जिसे घोड़ी चढ़ने से रोका जाता है। ऐसे कई बड़े नाम हैं, जो ऊंचे पदों पर हैं लेकिन उनके मंदिर जाने के बाद मंदिर को धोया भी जाता है। इसलिए आज भी छुआछूत के आधार पर भेदभाव व्याप्त है।’ इसके बाद चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही थी।
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