img-fluid

मुस्लिम राष्ट्रों की नाराजी

June 09, 2022

– डॉ. वेदप्रताप वैदिक

पैगंबर मुहम्मद और इस्लाम के बारे में भाजपा के कुछ पदाधिकारियों की अप्रिय टिप्पणियों को लेकर भारत के अंदर और इस्लामी देशों में कोहराम मचा हुआ है। भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर दी है लेकिन उससे न तो हमारे कुछ मुस्लिम संगठन संतुष्ट हैं और न ही कई इस्लामी राष्ट्र। उनकी टिप्पणियों से कुछ लोग इतने भड़के हुए हैं कि उन्हें वे मौत के घाट उतारना चाहते हैं। लेकिन क्या भड़के हुए लोगों और इस्लामी राष्ट्रों ने यह जानने की भी कोशिश की है कि वे टिप्पणियां क्या थीं और वे कब, कैसे और कहां, कही गई थीं? शायद नहीं। यदि उन्हें तथ्यों का पता होता तो शायद उनका गुस्सा काफी कम हो जाता। वह टिप्पणी तब की गई थी, जब किसी टीवी चैनल पर ज्ञानव्यापी मस्जिद के बारे में अनाप-शनाप बहस चल रही थी। आजकल हमारे चैनलों पर हर बहस में पार्टी प्रवक्ताओं को बैठा दिया जाता है। वे मूल विषय पर तर्क-वितर्क करने की बजाय एक-दूसरे पर बेलगाम प्रहार करते हैं। उनके मुंह में जो भी आ जाता है, उसे वे बेझिझक उगल देते हैं।

एक वक्ता ने शिवलिंग की मजाक उड़ाया तो दूसरे वक्ता ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में ऐसी टिप्पणी कर दी, जो निराधार थी। इस तरह के वाकया रोज ही होते हैं। इसीलिए ज्यादातर समझदार दर्शक टीवी पर चलनेवाली बहसों को देखने में अपना वक्त खराब नहीं करते। मेरी कोशिश यही होती है कि उन बहसों में जाना ही नहीं, जिनमें पार्टी प्रवक्ताओं को बैठा दिया जाता है। ऐसी बहस पर भारत के मुसलमानों और इस्लामी देशों का नाराज होना स्वाभाविक है लेकिन भारत और दुनिया के सभी हिंदू शिवलिंग की मजाक पर भी इसी तरह नाराज हो सकते हैं। लेकिन मेरी राय में इस तरह की नाराजी का अर्थ क्या यह नहीं है कि आप कुछ गैर-जिम्मेदार लोगों को जरूरत से ज्यादा महत्व दे रहे हैं? जहां तक मुस्लिम राष्ट्रों के खफा होने का सवाल है, सबसे पहले उन्हें खुद से सवाल करना चाहिए कि वे अपने देशों के अन्य धर्मों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं? उनके देशों में रहनेवाले ईसाइयों, यहूदियों, हिंदुओं, शियाओं, बहाइयों और अहमदियों के साथ उनका बर्ताव कैसा है? उनके महापुरुषों- मूसा, ईसा, बुद्ध, महावीर, शिव, कृष्ण, महर्षि दयानंद के बारे में वे क्या सोचते हैं?

असलियत तो यह है कि ऐसे धार्मिक लोग सच्चे अर्थों में धार्मिक होने के बजाय राजनीतिक ज्यादा होते हैं। वे भगवान के भक्त कम, सत्ता के भक्त ज्यादा होते हैं। इसीलिए वे अन्य धर्मों पर आक्रमण करते हैं। वे अपने महापुरुषों की सीख का भी उल्लंघन करते हैं। कुरान शरीफ में साफ लिखा है- ‘‘मजहब के मामले में जोर-जबरदस्ती ठीक नहीं’’ (2/256)। क्या गिरजाघरों और मंदिरों को गिरानेवाले आक्रांत सच्चे मुसलमान थे? पैगंबर मुहम्मद कितने उदार थे, यह तो इसी से पता चल जाता है कि उन पर रोज कूड़ा फेंकनेवाली एक यहूदी बुढ़िया जब बीमार पड़ गई तो वे चिंतित हुए और उनका हाल पूछने उसके घर में गए और उसकी तीमारदारी करी। जिन तालिबान ने बामियान में बुद्ध की मूर्तियां तोड़ीं, क्या वे मुहम्मद के सच्चे अनुयायी सिद्ध हुए? कितने इस्लामी राष्ट्रों ने उनकी भर्त्सना की? जिस ब्राह्मण रसोइए ने महर्षि दयानंद को जहर देकर मार डाला, क्या वह सच्चा हिंदू था? ऐसे लोग धार्मिक नहीं, धर्मांध होते हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि कोई अकेला इंसान तो धर्मांध हो सकता है लेकिन विभिन्न देशों की सरकारें धर्मांधता के कुएं में क्यों गिर पड़ती हैं?

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)

Share:

अब क्रेडिट कार्ड से भी होगा यूपीआई भुगतान, आरबीआई ने दी अनुमति

Thu Jun 9 , 2022
-आरबीआई गवर्नर दास ने कहा, रूपे क्रेडिट कार्ड से होगी इसकी शुरुआत नई दिल्ली/मुंबई। आने वाले दिनों में शॅपिंग के बाद भुगतान (payment after shopping) करना ज्यादा आसान होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) ने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) (UPI (Unified Payment Interface)) से जोड़ने की अनुमति दे दी है। […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
रविवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved