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सात साल बाद लौटी बीमारी, जानलेवा बनी कुकर खांसी

April 04, 2023

  • कुकर खांसी का टीका डेढ़ माह, ढाई माह और साढ़े तीन माह में लगता है

भोपाल। ढाई महीने से दस साल तक के बच्चों के लिए कुकर खांसी जानलेवा बनी हुई है। इस बीमारी से पीडि़त 5 से 10 बच्चे हर दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह शिकायत बच्चों में सात साल बाद देखी गई है। अभी तक यह माना जा रहा था कि कुकर खांसी पूरी तरह से जा खत्म हो चुकी है, लेकिन सात साल बाद मरीज फिर सामने आने लगे हैं। यह बीमारी जानलेवा है और अब तक 5 से 7 बच्चे इस बीमारी के चलते अपनी जान तक गंवा चुके हैं। इसलिए डाक्टरों का कहना है कि यदि बच्चे को लगातार खांसी आ रही है और चेहरा लाल हो रहा है तो इसे हल्के में न लें तत्काल डाक्टर से परामर्श लें।
कुकर खांसी में बच्चों को लगातार खांसी आती है। इससे उनका चेहरा लाल हो जाता है और खांसने के बीच उन्हें उल्टी आती है। जिससे उनकी जान भी चली जाती है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सरकार टीकाकरण कराती है। कुकर खांसी का टीका डेढ़ माह, ढाई माह और साढ़े तीन माह में लगता है। इसके बाद डेढ़ व पांच साल में इसका बूस्टर डोज लगाया जाता है। इस वक्त जो बच्चे इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। उन्होंने टीका नहीं लगवाया या फिर पूरे डोज नहीं लिए।



80 प्रतिशत ब्रोंकियोलाइटिस के मामले
डाक्टरों की सरकारी या निजी ओपीडी में 80 प्रतिशत मामले ब्रोंकियोलाइटिस के पहुंच रहे हैं। जिसमें बच्चे को सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी और सांस लेने में परेशानी होती है, जबकि कुकर खांसी में केवल खांसी ही आती है। इससे बुखार या अन्य कोई परेशानी शुरू हो जाती है। ब्रोंकियोलाइटिस में बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है, जिससे उसे घबराहट होती है और बच्चा चिडि़चिड़ा हो जाता है और लगातार रोता है, लेकिन कुकर खांसी में उसे उल्टी आती है, जो जानलेवा होती है। बाल एवं शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अजय गौड़ का कहना है कि डीपीटी टीका जरूर लगवाएं। इस समय कुकर खांसी जिसे काली खांसी भी कहा जाता है, उसके मरीज मिल रहे हैं। यह बीमारी उन्हीं बच्चों में देखने को मिल रही है, जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया। इसलिए टीका जरूर लगाएं यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। ब्रोंकियोलाइटिस से अधिक खतरनाक इस समय कुकर खांसी बनी हुई है। ढाई से दस साल तक के बच्चे कुकर खांसी से पीडि़त आ रहे हैं। इसके कारण कुछ बच्चे जान तक गंवा चुके हैं। यह शिकायत उन बच्चों में देखी गई, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया। इसलिए सावधानी रखें और खांसी हो तो नजदीगी डाक्टर को दिखाएं।

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