भाजपा में नगर अध्यक्ष के लिए बनने लगा माहौल, ऊपरी तौर पर चुनावी प्रक्रिया की बात, लेकिन लॉबिंग में लगे दावेदार
संजीव मालवीय, इंदौर। एक महीने के अंदर इंदौर शहर (Indore City) को भाजपा (BJP) का नया नगर अध्यक्ष (New President) मिलने वाला है। नया अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर भाजपा में कोई खुलकर सामने नहीं आया है। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र (Internal Democracy) है और इसी के चलते अध्यक्ष का चुनाव होगा, लेकिन सूत्र कह रहे हैं कि इंदौर जैसे शहर का अध्यक्ष सर्वसम्मति से तय कर लिया जाएगा, ताकि दूसरे शहरों में भी सकारात्मक संदेश दिया जा सके।
अगले महीने भाजपा को नए जिला अध्यक्ष मिल जाएंगे। इंदौर के अध्यक्ष को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार है, लेकिन कहा जा रहा है कि अध्यक्ष तो पूरे प्रदेश में बदले जा रहे हैं, इससे इंदौर भी अछूता नहीं रहेगा। हालांकि अभी पार्टी का कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है कि अध्यक्ष के लिए क्या क्राइटेरिया रहेगा? भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र के तहत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अगले सप्ताह से बूथ स्तर पर अध्यक्षों का चुनाव शुरू हो जाएगा। उसके बाद मंडल अध्यक्षों को चुना जाएगा और फिर दिसंबर की शुरुआत में नगर अध्यक्षों के चुनाव होंगे। इंदौर में अध्यक्ष चुनाव को लेकर संगठन के अंदर माहौल बनने लगा है, लेकिन अध्यक्ष कौन बनेगा इसका फॉर्मूला तय नहीं है। वैसे ग्रामीण क्षेत्र में मंत्री गुट से चिंटू वर्मा को जिला अध्यक्ष बनाया जा चुका है तो अब नगर अध्यक्ष संघ या संगठन की पसंद का ही आएगा। इस पर कौन खरा उतरेगा इसको लेकर भी चर्चा चल रही है। शहर में कई नाम ऐसे हैं, जो नगर अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं और उन्होंने अंदर ही अंदर लॉबिंग भी शुरू कर दी है, ताकि जब चयन प्रक्रिया शुरू हो तो उनका नाम आ सके।
इनके नाम आ रहे हैं सामने…
(इनके अलावा ऐनवक्त पर संघ या संगठन की मर्जी से कोई नया नाम भी आ सकता है)
फॉर्मूला क्या रहेगा, यह अभी तय नहीं
नगर अध्यक्ष की नियुक्ति में भाजपा का फॉर्मूला क्या रहेगा, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। इस महीने के अंत में होने वाली बैठक में पार्टी की नीति सामने आने की संभावना है। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अगर कोरोना काल के वर्षों को भी गिना जाता है तो अध्यक्षों का कार्यकाल 2 बार का हो रहा है, लेकिन सूत्रों का ही कहना है कि यह पहला ही कार्यकाल चल रहा है। संगठन की ओर से न तो अध्यक्षों का कार्यकाल आगे बढ़ाया गया था और न ही उसे एक कार्यकाल माना गया है। ऐसे में अध्यक्षों का कार्यकाल भले ही 5 साल का हो गया हो, लेकिन उसे एक कार्यकाल ही माना जा सकता है तो वर्तमान अध्यक्ष रिपीट किए जा सकते हैं।
संगठन से नाम तय होने की उम्मीद ज्यादा
सूत्रों का कहना है कि इंदौर का नगर अध्यक्ष संगठन तय कर सकता है, क्योंकि इसके पहले भी यही हुआ है। वह समय गया, जब चुनाव से अध्यक्ष तय होता था। अगर ऐसी स्थिति भी आती है तो नाम के पैनल बनाकर उन्हें संगठन के पास भेजा जा सकता है, वहीं इस बार संगठन संघ के किसी नाम का प्रयोग अध्यक्ष पद पर कर सकता है। कुछ ऐसे नाम भी सामने आ रहे हैं, जो संघ से निवृत्त होकर संगठन में काम देख रहे हैं।
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