इंदौर। प्रदेश कांग्रेस में अब बदलाव की बयार शुरू होने वाली है। पहले दौर में प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी घोषित करने की तैयारी है और हो सकता है कि इसके साथ ही कुछ जिलों के अध्यक्षों में भी बदलाव कर दिया जाए या फिर बाद में जिलाध्यक्षों की सूची जीतू पटवारी निकाल सकते हैं। इस सूची में इंदौर के दोनों अध्यक्षों के प्रभावित होने की संभावना बताई जा रही है। शहर अध्यक्ष के कार्यकाल को एक साल पूरा करने वाले सुरजीतसिंह चढ्ढा दिग्विजयसिंह खेमे से हैं। उनके पिता स्व. उजागरसिंह चढ्ढा तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में दिग्गी के बहुत नजदीक थे। इसके बाद सुरजीत को विधानसभा का टिकट भी दिग्विजयसिंह ने दिलवाया था, लेकिन वे हार गए और अब वे शहर अध्यक्ष भी दिग्गी गुटसे बने हुए हैं।
हालांकि बदलाव की इस बयार में अश्विन जोशी, अरविन्द बागड़ी, अमन बजाज और देवेन्द्रसिंह यादव जैसे नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे समय जब प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को लेकर प्रदेश में विरोध का माहौल बना हुआ है तो वे दिग्गी गुट से किसी प्रकार का पंगा मोल नहीं लेना चाहते हैं, इसलिए सुरजीत फिलहाल इस पद पर बने रह सकते हैं। अरविन्द बागड़ी को कमलनाथ ने बनाया था, लेकिन उनका नंबर लगना मुश्किल है। हालांकि वे अब पटवारी के नजदीक हैं और मन से तो चाह रहे हैं कि अध्यक्ष पद उनके पास फिर से आ जाएं, जो विवादों में फंस गया था।
ग्रामीण क्षेत्र में जरूर बदलाव की पूरी संभावना नजर आ रही है। सदाशिव यादव को लेकर अभी से ग्रामीण नेताओं ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है। फिलहाल दो ही नाम ग्रामीण क्षेत्र से प्रमुखता से निकलकर सामने आ रहे हैं, जिसमें एक मनीष पटेल तो दूसरा राधेश्याम पटेल का है। मनीष पटेल पटवारी के खास झंडाबरदार हैं और पटवारी की पसंद चली तो वे अध्यक्ष बन सकते हैं। कल हुए धरना-प्रदर्शन में वे ग्रामीण क्षेत्र से अच्छी भीड़ लेकर भी पहुंचे थे। दूसरा नाम सत्यनारायण पटेल के बड़े भाई राधेश्याम पटेल का है। हालांकि पटेल की निगाह देपालपुर विधानसभा पर हैं, लेकिन अध्यक्ष को लेकर भी वे दावेदारी कर रहे हैं। पटेल सहकारी नेता के तौर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं, जिससे कांग्रेस उन्हें कोई दूसरी जवाबदारी भी दे सकती है।
सुरजीत को एक साल ही हो पाया है पूरा
शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सुरजीतसिंह चढ्ढा को एक साल हुआ है। भले ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इंदौर से बुरी तरह हारी हो और चढ्ढा के रहते कोई विशेष उपलब्धि न हों, लेकिन उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना पटवारी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ऐसे समय जब पटवारी के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस के कई दिग्गज नेता लामबंद हैं और उनका नेतृत्व स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसलिए वे दिग्गी से भी किसी तरह का पंगा नहीं लेना चाहते।
सदाशिव लंबे समय से जमे हैं अध्यक्ष पद पर
सदाशिव यादव भी लंबे समय से ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर जमे हुए हैं। उनके कार्यकाल में भी कोईबड़ी उपलब्धि कांग्रेस के खाते में नहीं है। यादव पर उनकी ही पार्टी के लोग समय-समय पर गुटबाजी के आरोप लगाते आए हैं। सदाशिव पर मंत्री तुलसी सिलावट से नजदीकी के आरोप भी लगे हैं। वैसे सदाशिव अपनी कुर्सी बचाने के लिए भोपाल और बिजलपुर की दौड़ लगा चुके हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस बार वे दौड़ में पीछे रह जाएंगे।
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