भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में लंबे समय से कांग्रेस के जिलाध्यक्षों के बदलाव (Changes in Congress district presidents) की चर्चाएं चल रही हैं, बताया जा रहा था कि जिलाध्यक्षों से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक बदले जाएंगे. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने भी बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि हमारा नया संगठन बन रहा है और 10 से 20 मई के बीच ट्रेनिंग है, ऐसे में ब्लॉक और जिलाध्यक्षों के जितने भी बदलाव होंगे वह इसी तारीख के बीच में होंगे. पटवारी के इस बयान से साफ था कि अब बदलाव के मामले सामने आने लगेंगे. लेकिन एक बार फिर दिल्ली से सारे समीकरण बदल गए हैं. इस बीच पुराने नेताओं के भी एक्टिव होने की चर्चा सियासी गलियारों में शुरू हो गई है.
दरअसल, मध्यप्रदेश में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी करीब 6 महीने से फील्डिंग जमा रहे थे, लेकिन अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में जिला अध्यक्षों को पावर देने पर जैसे ही मुहर लगी तो जिलाध्यक्षों के चयन का क्राइटेरिया ही बदल गया. बताया जा रहा है कि अब राहुल गांधी की घोषणा के बाद मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों का चयन दिल्ली से ही होगा, जिसके लिए दिल्ली से एआईसीसी से ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाएंगे, जो जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया को पूरा करेंगे.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अहमदाबाद अधिवेशन में जीतू पटवारी ने जिला अध्यक्षों को संगठन की नींव बनाएं जाने पर जोर दिया था और उनके पॉवर बढ़ाने की बात कही थी. जिसके बाद कांग्रेस ने गुजरात में 33 जिलों के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए 42 केंद्रीय और 183 प्रदेश स्तर के पर्यवेक्षक बनाए थे. जहां हर जिले में पार्टी अध्यक्ष चुनने के लिए पांच सदस्यों की एक समिति भी बनाी जाएगी, जिसमें एक केंद्रीय और चार राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक शामिल होंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि गुजरात में जिलाध्यक्षों के चयन की यह प्रक्रिया 45 दिनों में पूरी होगी, जिससे सियासी गलियारों में चर्चा है कि जिस तरह से गुजरात में जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई है, उसी आधार पर मध्य प्रदेश में भी जिलाध्यक्ष चुने जा सकते हैं, जहां 55 जिलों में कांग्रेस पार्टी एक-एक ऑब्जर्वर नियुक्त कर सकती है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है कि जिलाध्यक्षों के चयन में एकतरफा फैसला नहीं होगा, ऐसे में अब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव गुट के नेता भी एक्टिव हो गए हैं, जबकि पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में अहम रोल हो सकता है. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अभी भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बडे़ नेता हैं, जिनके समर्थकों की संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा है. इसलिए दोनों गुटों के नेता एक बार फिर से एक्टिव होते दिख रहे हैं. क्योंकि एमपी कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां सियासी हलचल बढ़ा रही हैं.
माना जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों में आदिवासी, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया जाएगा. बता दें कि एमपी में कांग्रेस 72 संगठनात्मक जिलों के हिसाब से चलती है और जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां करती है. फिलहाल 66 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त हैं, जबकि 6 जिलों में जिलाध्यक्षों का पद खाली है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है.
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