भोपाल। मप्र में लंबे समय से विधानसभा सत्र न चल पाने के कारण सर्वदलीय समिति की बैठक में फैसला हुआ है कि विधायकों के विकास से संबंधित कामों के लिए सभी विभागों की अलग-अलग समितियां बनाई जाएंगी। इन समितियों में पांच से सात विधायकों को शामिल किया जाएगा। यह समितियां प्राथमिकता के आधार पर विधायकों के कामों को विभाग से मंजूरी दिलाने का काम करेंगी।
रविवार को विधानसभा सचिवालय में हुई सर्वदलीय बैठक में विधानसभा सत्र स्थगित करने के साथ-साथ तय हुआ कि कोरोना खत्म होने तक हर विभाग की ऐसी समिति बनाई जाए जिसमें सभी दलों के विधायकों को शामिल किया जाए। यह समितियां विभागीय मंत्री के साथ बैठकर विधायकों के कामों का निपटारा करेंगी। बैठक में फैसला हुआ कि इन समितियों का स्वरूप क्या होगा, समितियों को क्या अधिकार होंगे, समितियों की बैठक कब और कैसे होगी, समितियों में लिए गए फैसले का पालन कैसे किया जाएगा। इन विषयों पर प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं पूर्व स्पीकर एनपी प्रजापति मिलकर काम करेंगे। इन तीनों नेताओं की बैठक आज होगी जिसमें यह ड्राफ्ट तैयार होगा।
विधायकों को रिझाने के लिए बनाई समितियां, संवैधानिक अधिकार ही नहीं
इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि यह समितियां विधायकों को रिझाने के लिए बनाई जा रही है। लेकिन जब तक इन समितियों को संवैधानिक अधिकार नहीं मिलेंगे तब तक इनका कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है कि समितियां संबंधित विभागों से काम कराने के लिए सक्षम होंगी।
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