नई दिल्ली (New Delhi)। अंडरवर्ल्ड (underworld) की दुनिया का बेताज बादशाह और भारत का सबसे बड़ा दुश्मन। 66 साल का डॉन दाऊद (don dawood) 1993 के मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। अभी तक आपने डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) के कई किस्से सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको दाऊद (don dawood) के सरेंडर का वो किस्सा दिखाएंगे जिसमें डॉन को एनकाउंटर का डर सता रहा था।
हाल ही में देश की मशहूर क्राइम बीट रिपोर्ट शीला भट्ट ने अपने ट्विटर हैंडल से दाऊद के साथ एक तस्वीर पोस्ट की, जो कि काफी वायरल हो गई। फोटो में वह दाऊद के साथ बैठकर उसका इंटरव्यू लेती नजर आ रही हैं। उन्होंने कई मौके पर मुंबई के अंडरवर्ल्ड के सभी माफिया डॉनों का इंटरव्यू किया था। उनमें करीम लाला से लेकर वरदराजन मुदलियार और छोटा शकील से लेकर दाऊद इब्राहिम तक का नाम शामिल है। उन्होंने दाऊद के दुबई स्थित घर पर उसका इंटरव्यू लिया था। वह वर्षों तक माफिया डॉन के संपर्क में रहीं। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में दाऊद इब्राहिम को लेकर कई रोचक किस्से सुनाए हैं।
दाऊद की कहानी शील भट्ट की जुबानी:
मैं जब क्राइम रिपोर्टिंग कर रही थी तो मेरा पुलिसवालों से अच्छा संपर्क स्थापित हो चुका था। एक दिन एक पुलिसवाले मुझसे पूछा- करीम लाला का नंबर चाहिए? मैंने उससे नंबर लिया और करीम लाला से मिली। चित्रलेखा मैगजीन में एक लेख छापी। इसमें करीम लाला की फोटो भी छाप दी। उस आर्टिकल में करीम लाला की दो पत्नी का जिक्र है। एक पत्नी उस समय बर्तन साफ कर रही थी। करीम लाल के साथ मेरी फोटो छपी तो मेरी काफी चर्चा हो गई। यह स्टोरी ड्रग्स बिजनेस को लेकर थी।
उस दौर में करीम लाला का एक अलग रुतबा था। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मिला था। फोटो छपने के बाद गुजरात के किनारे में रहने वाले खारवां लोगों में मेरी लोकप्रियता बढ़ गई। उन्होंने फिर दाऊद इब्राहिम को फोन किया और मेरे से मिलने के लिए प्रेरित किया। उस दौरा में सोने की बिस्किट और घड़ी की तस्करी खूब हुआ करती थी। यह वह दौर था जब दाऊद इब्राहिम आतंकवादी या फिर भारत विरोधी घोषित नहीं हुआ था।
दाऊद और करीम लाला का उस समय काफी झगड़ा होता था। वह पठानों के द्वारा मुंबई में लड़कियों की छेड़छाड़ की अक्सर शिकायत करता था। मैं दाऊद से मिलने के लिए अपने पति के साथ गई। मुझे एक काली शीशे वाली गाड़ी में उससे मिलने के लिए ले जाया गया था। इस दौरान छोटा शकील भी वहीं था। मुलाकात के दौरान दाऊद इब्राहिम अधिक समय यही कहता रहा कि करीम लाला बुरा आदमी है। यह पहली मुलाकात थी। एक छोटी सी खबर मैंने छापी। इसके बाद मैं उससे नहीं मिली।
मैं गुजरात जाया करती थी। उस समय माधव सिंह सोलंकी सरकार में गृह मंत्री प्रबोध रावल मेरे पति के क्लासमेट थे। मैंने उनसे मदद मांगी और उन्होंने मुझे बड़ोदरा जेल में एंट्री दिला दी। मैंने वहां देखा कि दाऊद इब्राहिम फुटबॉल खेल रहा था। मैंने उससे भी बात की। यहां दाऊद ने मुझसे कहा कि वह आलम को नहीं छोड़ेगा। मैंने इसी हेडिंग के साथ चित्रलेखा में एक आर्टिकल लिख दिया। इसके बाद उसका मर्डर हो गया।
इस घटना के बाद क्राइम ब्रांच ने मेरे से कई सवाल पूछे और दाऊद इब्राहिम के खिलाफ मुझे गवाह बना दिया। इसके बाद करीब 2-3 साल तक मेरी दाऊद से बात नहीं हुई।
दाऊद कैसे बना आतंकवादी?
दाऊद इब्राहिम ने कई क्राइम किए। लेकिन, उसने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती देश छोड़कर कर दी। यहीं से उसके अंत की शुरुआत होती है। अरेस्ट से बचने के लिए वह मुंबई से भाग गया। वह दुबई में रहने लगा। इसके बाद एक खबर छपी कि दाऊद इब्राहिम दुबई में बैठकर भारत में ड्रग्स की स्मगलिंग कर रहा है। इसके बाद मैंने उसे फिर फोन किया। मैं उससे मिलने के लिए दुबई गई। उस समय मैं अपनी एक अभियान मैगजीन चला रही थी।
मैं जब दुबई गई तो एक दोस्त की मदद से फोटोग्राफर लिया। फिर हम मिलने के लिए पर्ल बिल्डिंग पहुंचे। यहां पहुंचने पर फोटोग्राफर को जैसे ही पता चला कि मैं दाऊद से मिलने के लिए जा रही हूं तो वह लिफ्ट खुलते ही भाग गया। वह कैमरा मुझे थमा गया।
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— ANI (@ANI) July 12, 2023
मैं दाऊद से मिलने के लिए उसके घर में पहुंची। उसने इंटरव्यू देने से मना कर दिया। इस दौरान हवाला ऑपरेटर अब्दुल्ला और छोटा राजन भी वहीं बैठा था। उसने काफी बातें की, लेकिन इंटरव्यू नहीं दिया। बातचीत के दौरान उसने तीनों मर्डर की बात कबूल की। उसने कहा- मैं उसे नहीं मारता तो वह मुझे मार देता।
आखिरकार तीसरे दिन उसने इंटरव्यू दिया। लेकिन इटरव्यू रिकॉर्ड करने नहीं दिया। मैं लिखती गई। इस दौरान अब्दुल्ला भी वहीं बैठा था। उसने सब बताया कि कौन से अधिकारी उसके दोस्त हैं। कौन से राजनेता उनके दोस्त है। एयरपोर्ट पर वह किसे जानता है।
इदाऊद इब्राहिम का इंटरव्यू करने के बाद मैं मुंबई वापस लौटी। लैंड करते ही दूसरे दिन वाली मेरी डायरी एयरपोर्ट पर चोरी हो गई। इसमें दाऊद से हुई बातचीत मैंने लिखी थी। इस घटना के बाद मेरा दाऊद से झगड़ा हो गया।
जब मैं इंडिया टुडे में काम कर रही थी। इसी समय मुंबई में बम ब्लास्ट हुआ। इसके बाद मैंने दाऊद से संपर्क साधा। वह उस समय पाकिस्तान में था। मैंने कराची जाकर उसका इंटरव्यू किया।
2002 में जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ आगरा आ रहे थे तो मेरी दाऊद से बात हुई। हम दोनों की बातचीत का फोन टैप हो गया। इस समय मैं दिल्ली से दूर कच्छ में थी। एक पुलिसवाला मेरे से मिलने आया। मैंने उससे पूछा कि मेरी जासूसी क्यों हो रही है। उसने कहा मेरा बॉस आपसे मिलने चाहता है। फिर मैं दिल्ली पहुंची और कनॉट प्लेस में मिली। इस दौरान मेरे से कई सवाल पूछे गए। मैंने सभी का जवाब दिया।
दाऊद ने की थी सरेंडर की कोशिश
मेरी दाऊद इब्राहिम से फिर बात होती है। मैंने उसे फूलन देवी की जिंदगी के बारे में बताया। जूल्म, अपराध से लेकर फूलन देवी के सासंद बनने तक की कहानी बताई। मैंने दाऊद को पाकिस्तान से बाहर निकलने के लिए कहा। सरेंडर करने के लिए कहा। उसने सरेंडर की कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बनी। दाऊद इब्राहिम ने मशहूर वकील रामजेठमलानी से बात की थी। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। राजेश पायलट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हुआ करते थे।
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