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    आपदा में अवसर का कलेंडर वर्ष 2020

  • December 31, 2020

    – डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

    कलेंडर वर्ष 2020 कोरोना आपदा के लिए इतिहास में दर्ज हुआ। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण जनजीवन गहराई तक प्रभावित हुआ। जिन्होंने इस पीड़ा को झेला, जिन कोरोना योद्धाओं ने पीड़ितों की जी जान से सहायता की, उसे शब्दों में व्यक्त करना असंभव है। कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुट प्रयास अपरिहार्य थे। शुरुआत में तो टेस्टिंग की भी सुविधा नहीं थी। भारत ने सबसे पहले राष्ट्रीय एकजुटता का सन्देश दिया। ताली-थाली और फिर ज्योति प्रज्ज्वलन इसके मनोवैज्ञानिक माध्यम थे। इसके द्वारा कोरोना से बचाव के सामूहिक प्रयास की चेतना जागृत हुई।

    इसी संकट के दौरान प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया। इसके लिए अबतक का सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज दिया गया। गरीबों के लिए विश्व की सबसे बड़ी राहत योजनाओं का संचालन किया गया। कोरोना की शुरुआत के साथ ही चिकित्सा सुविधा पर सर्वाधिक ध्यान रहा। यह संयोग था कि इस कलेंडर वर्ष की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजकोट में एम्स के शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद भी सिर्फ छह एम्स ही बन पाए थे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने छह नए एम्स बनाने के लिए कदम उठाए थे। लेकिन यूपीए सरकार का काम सुस्त रहा। इन्हें बनाने में नौ साल लग गए थे। जबकि बीते छह वर्षों में दस नए एम्स बनाने पर काम हो चुका है। जिनमें से कई आज पूरी तरह काम शुरू कर चुके हैं। एम्स के साथ ही देश में बीस एम्स जैसे सुपर स्पैशिलिटी हॉल्पिटल्स पर भी काम किया जा रहा। आयुष्मान भारत विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ योजना है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस योजना से गरीबों के लगभग हजार करोड़ रुपये ज्यादा बचे हैं। इस योजना ने गरीबों को कितनी बड़ी आर्थिक चिंता से मुक्त किया है। अनेकों गंभीर बीमारियों का इलाज गरीबों ने अच्छे अस्पतालों में मुफ्त कराया है।

    यूपीए के समय हेल्थ सेक्टर अलग-अलग दिशा में, अलग-अलग अप्रोच के साथ काम कर रहा था। प्राइमरी हेल्थ केयर का अपना अलग सिस्टम था। गांव में सुविधाएं न के बराबर थी। वर्तमान सरकार ने हेल्थ सेक्टर में होलिस्टिक तरीके से काम शुरू किया। इस दौरान बचाव के साथ ही इलाज की आधुनिक सुविधाओं को भी प्राथमिकता दी। साढ़े तीन लाख से ज्यादा गरीब मरीजों को हर रोज इन जन सुविधा केंद्रों का लाभ मिल रहा है। सस्ती दवाओं की वजह से गरीबों के हर साल औसतन छत्तीस हजार करोड़ रुपये खर्च होने से बच रहे हैं। डॉक्टरों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि की जा रही है। पिछले छह वर्षों में एमबीबीएस में इकतीस हजार नई सीटें जोड़ी गई हैं, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में चौबीस हजार नई सीटें जोड़ी गई हैं। भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर बदलाव की ओर बढ़ रहा है।

    भारत ने मांग के अनुसार अनुकूलन, विकास और विस्तार करने की अपनी क्षमता साबित की है। कोरोना काल के दौरान गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए अभूतपूर्व योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया। लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत महिलाओं के जनधन खातों में पांच पांच सौ रुपये की किश्त भेजी। इसके अलावा राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई। लॉकडाउन में खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा सभी राशन कार्ड धारकों को दो गुना राशन देने की व्यवस्था की गई। बाद में इसका समय भी बढ़ाया गया।

    प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत बारह करोड़ किसानों को सम्मान धनराशि प्रदान की गई। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तैतीस हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि मनरेगा के अंतर्गत स्वीकृत की थी। उज्ज्वला योजना के जरिए फ्री गैस प्रदान की गई। लॉकडाउन में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया। उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त रसोई गैस दी गई। नरेन्‍द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के क्रियान्वयन हेतु बीस लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज दिया। यह भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद दस प्रतिशत के बराबर है। उन्होंने आत्‍मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया था। यह अभियान निरन्तर प्रगति पर है। 

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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