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    शिप्रा में अभी भी मिल रहे गंदे नाले, वही बन जाता है शिप्रा का पानी

  • December 17, 2021

    • शुद्धिकरण के लिए फिर बनेगा करोड़ों का प्लान-सभी जगह गंदा पानी फैला
    • आज तीन विभागों के सचिव आकर देखेंगे शिप्रा की हालत

    उज्जैन। शिप्रा नदी में 13 गंदे नालों का पानी मिल रहा है। यही पानी नदी में जाता है तो वह नदी का पानी बन जाता है और लोग उसी को स्पर्श करते हैं..सुनहरी घाट, धोबी घाट, छोटा पुल, बड़े पुल के नीचे एवं चक्रतीर्थ तक यही पानी जमा रहता है और शिप्रा नदी कहीं नजर नहीं आती। साधुओं ने आंदोलन तो किया लेकिन इसका क्या परिणाम होगा कह नहीं सकते। उल्लेखनीय है कि शनिचरी अमावस्या से पहले त्रिवेणी क्षेत्र में कान्ह नदी का दूषित पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए मिट्टी का पाला बनाया गया था। यह स्नान के ऐनवक्त पर बह गया था। इसके बाद संतों ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी और दत्त अखाड़ा घाट पर कान्ह नदी का पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए सरकार को पुख्ता योजना बनाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया था। इनमें से एक संत ने तो 27 दिन पहले अन्न का त्याग कर लगातार शिप्रा शुद्धिकरण की मांग को जारी रखा था। हालांकि संतों का यह आंदोलन चार दिन चला और आंदोलन मंच पर अन्य संगठनों और लोगों का भी संतों की मांग को समर्थन मिला।



    इसका नतीजा यह हुआ कि संतों की मुख्यमंत्री से मुलाकात की मांग को लेकर शिक्षा मंत्री और जल संसाधन मंत्री को मुख्यमंत्री तक पहुँचना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने संतों को आश्वासन दिया था कि वे 15 दिन के अंतराल में संतों को चर्चा के लिए भोपाल बुलाएँगे। इसके साथ ही संतों की मांग के अनुसार शिप्रा में कान्ह नदी और नालों का पानी रोकने के लिए उन्होंने अधिकारियों को विस्तृत प्लान बनाने का भी कहा था। मुख्यमंत्री की इस मांग को संतों ने स्वीकार करते हुए धरने को स्थगित कर दिया था। संतों ने उस दौरान साफ कहा था कि सरकार इस बात का ध्यान रखे कि यह धरना सिर्फ स्थगित हुआ है समाप्त नहीं। कान्ह नदी को शिप्रा से अलग नहीं किया गया तो संत फिर आंदोलन शुरु कर देंगे। संतों के इस आंदोलन का असर भी नजर आने लगा था। स्थानीय स्तर पर भी कान्ह नदी का पानी शिप्रा में सीधे मिलने से रोकने के लिए 65 मीटर लंबे तथा साढ़े 5 फीट ऊँचाई के स्टाप डेम की योजना अधिकारियों ने बनाई। यह भी बताया गया कि स्टाप डेम निर्माण की राशि स्मार्ट सिटी योजना के तहत जुटाई जाएगी। इधर त्रिवेणी क्षेत्र में तो नया पक्का स्टाप डेम बनाकर कुछ समय के लिए कान्ह नदी का पानी शिप्रा में मिलने से रूक जाएगा परंतु रामघाट से आगे जब शिप्रा छोटे पुल तक पहुँचती है तो यहाँ तक पानी नजर आता है परंतु इसके बाद चक्रतीर्थ घाट का क्षेत्र शुरु होते ही यहाँ से कई बड़े गंदे नाले शिप्रा में मिलने लगते हैं और लगातार गंदगी के चलते इस दायरे में शिप्रा उथली भी हो गई है। इस कारण यहाँ अभी से पानी कम नजर आने लगा है।

    मुख्यमंत्री तक बात पहुँची, हलचल शुरु
    शिप्रा नदी में कान्ह नदी के दूषित पानी को मिलने से रोकने तथा संतों की मांग के अनुरूप नहर द्वारा इसे डायवर्ट करने आदि कार्ययोजना को धरातल पर जाँचने के लिए आज दोपहर बाद जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा, नर्मदा घाटी विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव आई.सी.पी. केसरी व नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह शहर आएँगे। यह तीनों अधिकारी शिप्रा में मिलने वाले स्थान त्रिवेणी संगम तथा पंथ पिपलई स्थित कान्ह डायवर्शन प्रोजेक्ट योजना का जायजा लेंगे और उसके बाद अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे तथा कार्ययोजना की जानकारी लेंगे।

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