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उज्जैन। शिप्रा नदी में वैसे ही पानी नहीं रहता है और नर्मदा का जो पानी स्नान के लिए लाया जाता है उसे भी शहर के नाले नालियां गंदा कर रहे हैं। वर्षों तक इसका उपचार नहीं हो पाया है। निगम आयुक्त का कहना है कि टाटा की सीवर लाईन डलने के बाद ही इस पर रोक लग पाएगी। शिप्रा गंगा उत्सव की शुरुआत हो चुकी है और शिप्रा के पूजन के लिए वहां के पण्डे पुजारी जब पहुंचे तो उन्हें भयंकर बदबू का सामना करना पड़ रहा था। शिप्रा में शहर की सीवरेज का पानी कई जगह से मिलता है। नगर निगम इस पर अभी तक कोई रोक नहीं लगा पाई। त्रिवेणी से लेकर ऋण मुक्तेश्वर तक शहर की सीवरेज का पानी शिप्रा में मिल रहा है। नीलगंगा के यहां हो या फिर दानीगेट के आगे राजपूत धर्मशाला के पास का चेंबर हो या फिर ऋणमुक्तेश्वर के यहां का नाला हो। सभी जगह से प्रतिदिन शिप्रा में गंदा नालियों का दूषित पानी मिल रहा है।
कल जब रामघाट क्षेत्र में ही गंदा पानी तेजी से शिप्रा में मिला तो हल्ला मचा। पण्डे पुजारी, अधिकारियों सभी ने चिंता ली और पानी को खाली कराया गया और घाटों की साफ-सफाई की गई, लेकिन यह शिप्रा में गंदे पानी मिलने के कारण का कोई समुचित हल नहीं है। सभी स्थानों पर जहां गंदा पानी मिलता है वहां पीएचई की तरफ से नगर निगम ने मोटर पंप लगा रखे है। बिजली जाने और ओवर फ्लो होने पर प्रतिदिन गंदा पानी मिलता है। अरबों रूपये खर्च हो चुके है, लेकिन सही हल नहीं हो पाया है। इस संबंध में जब निगम आयुक्त रोशन कुमार से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि टाटा सीवर लाईन डलेगी तभी गंदे नाले नालियों का पानी शिप्रा में मिलना बंद होगा। फिलहाल वैकल्पिक उपाय ही अपना रहे हैं। इधर गंगा दशहरा 29 मई को है और शिप्रा पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे और चुनरी ओडाने का कार्यक्रम भी किया जाता है। ऐसे में जब बदबूदार पानी शिप्रा का रहेगा तो लोगों के बीच क्या छवि शिप्रा और यहां के प्रशासन की जाएगी यह बड़ा प्रश्र है।