रीवा। विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल की कैंटीन में साफ-सफाई का आभाव है। आलम है कि प्लेट पर चूहे और कॉकरोच दौड़ते रहती है। फिर भी उन्हीं प्लेटों पर मरीजों को खाना परोस दिया जाता है। अस्पताल सूत्रों की मानें तो रोजाना कैंटीन संचालक पैसे लेकर मरीजों को संक्रमण बांट रहा है। फिर भी एसजीएमएच प्रशासन की मौन स्वीकृत है।बता दें कि एसजीएमएच में आधा सैकड़ा से ज्यादा स्टॉफ 24 घंटे मौजूद रहता है। वहीं संभाग के रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिलों के साथ शहडोल और सागर संभाग का शहडोल, उमरिया और पन्ना जिले जुड़े मरीज व अटेंडर्स की सुविधाओं के लिए कैंटीन का संचालन किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान समय में पूरी कैंटीन अव्यवस्थित है।
बदबू के कारण एक मिनट रुकना मुश्किल
एक चिकित्सक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कैंटीन में बदबू के कारण एक मिनट रुकना मुश्किल है। साफ-सफाई के आभाव में बचा हुआ खाना बजबजाता रहता है। वहीं चूहों व कॉकरोच सहित अन्य कीड़े मकोड़े घूमते रहते है। चारों तरफ जाला और खाना बनाते समय निकलने वाली एयर की कीट बन गई है। कैंटीन रूम के अंदर कोयले की कालिमा छाई है।
जूनियर डॉक्टर्स ने बनाई दूरी
मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हृदयेश दीक्षित ने बताया कि हम लोगों ने कैंटीन से दूरी बना ली है। ठेकेदार को एसजीएमएच प्रशासन का संरक्षण है। इसलिए डंके की चोंट पर कैंटीन चल रही है। हालांकि मरीजों के अटेंडर्स मजबूरी में खाना और नाश्ता करने पर मजबूर है। लेकिन उन पर संक्रमण का खतरा जरूर है।
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