वाशिंगटन। यूक्रेन के दो शहरों डोनेत्स्क और लुहांस्क को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने और वहां सेना भेजने के एलान से जंग की आशंका और बढ़ गई है। अमेरिका रूस को घेरने व कूटनीतिक समाधान के लिए राजी करने के इरादे से उस पर ताबड़तोड़ पाबंदियां लगा रहा है।
इस अहम काम में बाइडन प्रशासन की मदद भारतवंशी अमेरिकी आर्थिक सलाहकार दलीप सिंह कर रहे हैं। पुतिन के कदमों से रूस व यूक्रेन तथा पश्चिमी देशों के बीच जंग का खतरा बढ़ गया है। पश्चिमी देशों को आशंका है कि रूस यूक्रेन पर हमला बोलेगा। रूस ने पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने का भी आदेश दिया है। हालांकि क्रेमलिन ने इस कदम को ‘शांति मिशन’ करार दिया है।
कौन हैं दलीप सिंह
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक दलीप सिंह अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लेकर बाइडन प्रशासन को सलाह देते हैं। इसके साथ ही वह अमेरिका की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के उपनिदेशक भी हैं। यूक्रेन-रूस के बीच तनाव के बीच वे हाल ही के दिनों में दूसरी बार व्हाइट हाउस में नजर आए हैं। वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के करीबी माने जाते हैं। जब यूक्रेन संकट को लेकर रूस के खिलाफ पाबंदियां लगाने पर विचार होने लगा तो बाइडन प्रशासन ने दलीप सिंह को सबसे पहले व्हाइट हाउस बुलाया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने दलीप सिंह को लेकर कहा कि सिंह की काफी ज्यादा मांग थी, इसीलिए उन्हें बुलाया गया। वह बाइडन प्रशासन की रूस नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के प्रति दिखाए कड़े तेवर
रूस पर पाबंदियों के कार्यकारी आदेश पर राष्ट्रपति बाइडन के दस्तखत के बाद दलीप सिंह ने व्हाइट हाउस में पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के प्रति तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने बताया कि रूस के प्रति अमेरिकी नीति कितनी कठोर होगी। उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन के खिलाफ रूसी कार्रवाई शुरू हो गई है, इसीलिए हमारी प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। हमारी स्पीड और हमारा समन्वय ऐतिहासिक है। हमने रातों रात जर्मनी से रूस की महत्वपूर्ण नॉर्ड स्ट्रीम-2 प्राकृतिक गैस परियोजना का काम भी बंद करवा दिया।’ आमतौर पर ऐसी पाबंदियां लगाने में कई सप्ताह व महीने लग जाते हैं, लेकिन दलीप सिंह के नेतृत्व में बाइडन प्रशासन ने तुरत-फुरत कदम उठाए।
रूस को दिया बड़ा दर्द
दलीप सिंह ने कहा कि जर्मनी को गैस आपूर्ति करने वाली नॉर्ड-2 परियोजना में रूस ने 11 अरब डॉलर का भारी निवेश किया है। अब यह निवेश बर्बाद हो गया। यह परियोजना रूसी खजाने को भरने में अहम भूमिका निभाने वाली थी। यह रूस को सिर्फ आर्थिक झटका नहीं है, बल्कि इसे परियोजना के बंद होने के बाद यूरोप को गैस के लिए उस पर निर्भर करवाने की योजना भी तबाह हो गई है।
दलीप सिंह ने कहा कि हमने अपने आर्थिक पाबंदियों के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया है। ऐसा करके हमने कोई गलती नहीं की है। हम यही दर्द फिलहाल रूस को दे सकते हैं। हमने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रूस को वैश्विक आर्थिक तंत्र से अलग-थलग करने की कोशिश की है। सिंह ने कहा कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो रूस के दो सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी। इनके पास 750 अरब डॉलर की भारी भरकम संपत्तियां हैं। ये रूसी बैंकिंग तंत्र की आधी से ज्यादा संपत्तियां हैं।
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