मुंबई। ‘ट्रेजेडी किंग’ ने नाम से मशहूर रहे अभिनेता दिलीप कुमार जमाने को सुबकता सिसकता छोड़ चले गए। परदे पर मोहब्बत के अफसाने दर अफसाने लिखने वाले दिलीप कुमार की हालात पिछले कई साल से नाजुक चल रही थी। बीते दो महीनों उनका अस्पताल आना जाना भी लगा रहा। लेकिन, इस बार वह अस्पताल गए तो फिर कफन ओढ़कर ही घर लौटे। उनीक बेगम सायरा बानो दिन रात दिलीप कुमार की तीमारदारी में लगी रहीं और किसी बच्चे की तरह उन्हें लगातार दुलारती रहीं।
दिलीप कुमार के दिल में एक बच्चा आखिरी दिन तक कुलांचे भरता रहा। उम्र के हिसाब से बुजुर्ग दिलीप कुमार की आखिरी तस्वीरों में उनकी आंखों में किसी बच्चे जैसी ही चमक दिखती है। सौ साल के होने की दहलीत से बस दो कदम पहले ठिठक गए इस कलाकार के दुनिया भर में फैले उनके करोड़ों फैंस उनकी सेहत की दिन रात दुआ करते रहे। सायरा बानो ने मान लिया था कि उनके शौहर का आखिरी समय नजदीक है। लेकिन वह उनके चाहने वालों को आखिरी वक्त तक दिलासा देती रहीं। दोनों की मोहब्बत ही ऐसी रही जिसमें दोनों ने कभी एक दूसरे को कमजोर नहीं होने दिया।
दिलीप कुमार की मोहब्बत के किस्से भी कम लोगों को ही मालूम हैं। एक जमाना था जब विलायत से लौटीं सायरा बानो से मिलने वह हर रोज रात को चेन्नई से आ जाया करते थे। और, सुबह की फ्लाइट पकड़कर फिर शूटिंग करने चले जाते थे। सायरा बानो को पहली बार दिलीप कुमार अपनी कार में घुमाने ले गए तो इसके लिए उन्होंने बाकायदा सायरा बानो की मां और दादी से अनुमति ली। इस पहली सैर में ही दिलीप कुमार ने सायरा बानो के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया था। हालांकि, तब सायरा बानो को लगा था कि दिलीप कुमार यूं ही उन्हें इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहे हैं।
साल 1966 में दिलीप कुमार और सायरा बानो ने शादी की। तब से यह जोड़ा हिंदी फिल्मों में होने वाली शादियों के लिए एक मिसाल बना हुआ है। इन दोनों ने एक साथ जिंदगी के उतार-चढ़ाव देखे हैं और उनका डटकर सामना भी किया है। अपनी शुरुआती जिंदगी को याद करते हुए सायरा ने हाल ही में बताया था कि अपने शुरुआती करियर में दिलीप कुमार और वह खुद भी एक साथ अच्छा काम कर रहे थे। सायरा ने कहा कि दिलीप साहब ने अपनी जिंदगी में जितनी अच्छी फिल्में की हैं, उन्होंने उससे भी कम फिल्में कीं।
दिलीप कुमार की तारीफ करते हुए तब सायरा ने कहा था कि दिलीप कुमार के साथ शादी करके उनके साथ रहना बहुत आसान था। वह बहुत ही दयालु किस्म के इंसान रहे हैं। उन्होंने शादी को लेकर कभी असुरक्षित महसूस नहीं किया। सायरा के मुताबिक दिलीप कुमार से उनका प्रेम हमेशा निस्वार्थ रहा और ये ऐसा प्रेम था कि जिसके लिए उन्हें कभी कुछ न सोचना पड़ा और न करना पड़ा। दिलीप कुमार को देखते ही सायरा बानो का दिल जो पहली बार पिघला था, वह आखिर तक वैसा ही द्रवित ही बना रहा। सायरा को उन दिनों का भी अफसोस रहता है जब काम के सिलसिले में बहुत यात्राएं करती थी और काम के चक्कर में मैं अपने पति के साथ सुबह की चाय तक नहीं पी पाती थीं।
हालांकि इसका भी दिलीप साहब ने कभी बुरा नहीं माना। अब दिलीप कुमार हमारे बीच नहीं रहे। उनके बंगले पर लगने वाली महफिलें तो पिछले कई साल से वीरान रही हैं। बीते साल उनके दोनों भाइयों के गुजर जाने पर दिलीप कुमार ने अपनी सालगिरह का जलसा भी कैंसिल कर दिया था। आखिरी बार उनके करीब जाने का कम ही लोगों को मौका मिल पाया। बीती सालगिरह पर ही सायरा बानो ने बताया था, ‘अब वह बहुत अच्छे नहीं है। वह बहुत कमजोर हो गए हैं। कभी-कभी घर में ही टहल लेते हैं और वापस अपने कमरे में चले जाते हैं।’
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