जयपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Senior Congress leader Digvijay Singh) के पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव (party president election) लड़ने की तैयारी से चुनावी सरगर्मी और बढ़ गई है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण चुनाव से पहले पार्टी की राजस्थान (Rajasthan) इकाई में संकट को हल करने के प्रयास भी तेज हो गए हैं। सिंह ऐसे समय नामांकन पत्र भरने की तैयारी कर रहे हैं जब राजस्थान संकट के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के चुनाव लड़ने की संभावना पर प्रशचिन्ह लग गया है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि गांधी परिवार की तरफ से अधिकृत उम्मीदवार होने की तो गांधी परिवार ने साफ कर दिया है कि वो इस चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मैं अपने आप को उम्मीदवार कैसे मान लूं। मैं अपने विवेक से चुनाव लड़ रहा हूं। मैं सभी निवेदन करूंगा कि अगर वो मुझे योग्य समझते हैं तो मुझे अध्यक्ष चुने। पार्टी जो सामूहिक रूप से फैसला लेगी मैं उसके साथ रहूंगा। मैं वैसे ही काम करना चाहूंगा जैसे सोनिया गांधी करती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अशोक गहलोत और शशि थरूर दोनों ही मेरे दोस्त हैं। मैं किसके पक्ष और किसके विरोध में बोलता। उन्होंने कहा कि अब जब मैदान साफ है तो मैंने सोचा कि मैं भी अपना पक्ष रख दूं। मैदान साफ होने का मतलब ये है कि जब चर्चा चल रही थी कि पार्टी कोई एक नाम तय कर रही है। तब विषय दूसरा था आज विषय दूसरा है।
दिग्विजय सिंह ने संकेत दिया कि उनका कदम एकदम से लिया गया। ये फैसला यह स्पष्ट हो जाने के बाद कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उम्मीदवारी के विद्रोह से प्रभावित हुई थी। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के फैसलों को पूरा करेंगे। जैसा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में होता है, उन्होंने कहा कि एक अच्छा नेता तानाशाह नहीं बल्कि बराबरों में पहला होता है। वहीं, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी आलाकमान पार्टी के शीर्ष पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार की तलाश कर रहा है। ऐसी संभावना है कि उम्मीदवार मुकुल वासनिक होंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की गई और नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से आरम्भ हुई, जो 30 सितंबर तक चलेगी। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है। गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे। पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी और इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गए।
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