राजगढ़. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए राजनीतिक पार्टियां धुआंधार प्रचार कर रही हैं और सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बार मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजगढ़ (Rajgarh) लोकसभा सीट पर कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री (CM) दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ताल ठोक रहे हैं. इस बार यह हॉट सीट मानी जा रहा है. दिग्विजय सिंह का मुकाबला राजगढ़ से दो बार के सांसद रोडमल नागर से है. उन्होंने रविवार को एक बड़ा ऐलान किया है और कहा है कि ये उनके जीवन का आखिरी चुनाव (last election) होगा.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं जब मेरे पिता जी के देहांत के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर राघोगढ़ आ कर रहने लगा, तब मुझे राघोगढ़ के बुजुर्ग नगर सेठ कस्तूरचंद जी कठारी मिलने आए, तब उन्होंने मुझे एक सीख दी. वह यह थी, उन्होंने कहा कि राजा साहब हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य हिंदी की 12 खड़ी के अनुसार होता है. क से कमाओ- इतना कमाओ कि आपके परिवार को कमा कर ख से खिला सके. ग से गहना – जो बचत हो उससे गहना बनाओ. घ से घर – गहना खरीद कर बचत से घर बनाओ. ङ से नाम- घर बनाने के बाद अगर बचत हो तो नाम कमाओ.’
खुद आकलन नहीं कर सकता- दिग्विजय सिंह
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, ‘उन्होंने कहा आप भाग्यशाली हो आपको खाने की कमी नहीं गहनों की कमी घर की कमी नहीं बस अब आप नाम कमाओ. मैंने अपने 50 वर्षों के राजनैतिक जीवन में बस यही करने का प्रयास किया है. उसमें मैं कितना सफल हुआ इसका आकलन मैं स्वयं नहीं कर सकता, केवल आम लोग ही कर सकते हैं. यह मेरे जीवन का आखिरी चुनाव है और आप यह तय करेंगे कि मैं इसमें कितना सफल हुआ.’
मैं जब मेरे पिता जी के देहांत के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर राघोगढ़ आ कर रहने लगा, तब मुझे राघोगढ़ के बुजुर्ग नगर सेठ श्री कस्तूरचंद जी कठारी मिलने आए। तब उन्होंने मुझे एक सीख दी। वह यह थी। उन्होंने कहा राजा साहब हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य हिंदी की 12 खड़ी के अनुसार होता
राजगढ़ लोकसभा सीट पर सात मई को चुनाव है और आज शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा. दिग्विजय सिंह ने आम लोगों से भावुक अपील कर नया दांव खेला है. दिग्विजय खुद 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद से राज्य में चुनावी राजनीति से बाहर हैं. हालांकि वे अपने बयानों को लेकर सियासत में सुर्खियां बटोरते रहते हैं और विधानसभा चुनावों सहित अक्सर वह बीजेपी के निशाने पर रहते हैं. कांग्रेस नेता कई पैदल यात्राएं भी कर चुके हैं, जिसके जरिए उन्होंने पार्टी के माफिक पिच तैयार करने की कोशिश भी की.
विधानसभा चुनाव में 66 सीटों की थी जिम्मेदारी
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान दिग्विजय को 66 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. ये वो सीटें थीं, जहां पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर मानी जा रही थी. चूंकि इस बार वह खुद राजगढ़ से चुनाव मैदान में उतरे हैं और अपने आखिरी चुनाव में पूरी दमखम झोंक दी है. वह इस निर्वाचन क्षेत्र की नब्ज को अच्छी तरह से जानते हैं. उन्होंने अपनी राजनीतिक सफर यहीं से शुरू किया है. वह 1969 में 22 साल की उम्र में राघोगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए थे. इसके 1971 में जब तक उनका कार्यकाल खत्म होता तब तक उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान बना ली थी और जल्द ही उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम कर आगे का राजनीतिक सफर शुरू किया.
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