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दिग्विजय सिंह ने CM मोहन यादव को लिखा पत्र, जानिए पूर्व सीएम ने लाउड स्पीकर को लेकर क्या लिखा

May 29, 2024

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Madhya Pradesh Chief Minister Dr. Mohan Yadav) के निर्देश पर प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर नियम विरुद्ध लगाए गए लाउड स्पीकर्स (Loudspeakers installed at religious places against the rules) को उतारने का अभियान चलाया जा रहा है। इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि मेरे संज्ञान में आया है कि मध्यप्रदेश सरकार (madhya pradesh government) के जारी निर्देशों का समानता से पालन नहीं हो रहा है। प्रदेश के शहरों में कड़ाई से पालन करने के नाम पर पुलिस और प्रशासन मनमाने तरीके से ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटा रहा है। कई मंदिरों से सिर्फ आरती के समय उपयोग किए जाने वाले लाउड स्पीकरों को उतार दिया गया। कई मस्जिदों से नमाज के पहले अजान के लिए उपयोग किए जाने वाले लाउड स्पीकरों को भी जबरन उतार दिया गया। इसके लिए संबंधित धार्मिक स्थलों के प्रमुखों या धर्मगुरुओं से भी कोई सलाह-मशवरा नहीं किया जा रहा है। इस प्रकार धार्मिक केंद्रों द्वारा नियमों का पालन करते हुए उपयोग किए जा रहे लाउड स्पीकर्स को उतारना आम लोगों और धर्मगुरुओं की भावनाओं को आहत करता है।


दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मेरा आपसे अनुरोध है कि मध्यप्रदेश शासन ने जिस भावना से यह दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उस भावना की रक्षा करने के लिए धार्मिक स्थलों पर लगे लाउड स्पीकर्स को नियमों के अंतर्गत उपयोग करने से रोकने वाले अधिकारियों पर नियंत्रण किया जाए। मानव स्वास्थ्य की रक्षा के साथ-साथ लोगों की आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं की भी रक्षा की जाए।

आशा है आप इस मामले को व्यक्तिगत तौर पर दिखवाएंगे, और नियमों के विरुद्ध मनमाना आचरण करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर नियंत्रण करेंगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा 13 दिसंबर 2023 को जारी दिशा निर्देशों में भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 तथा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उक्त नियमों में निर्धारित समय और निश्चित डेसीबल की ध्वनि पर ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग करने पर जोर दिया गया है ताकि मानव स्वास्थ्य पर भी कोई विपरीत प्रभाव न पड़े तथा लोगों की धार्मिक आस्थाओं का पालन भी हो सके।

दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर और मप्र सरकार के पत्र का जिक्र करते हुए लिखा कि मैं उपरोक्त विषय में संदर्भित मध्यप्रदेश शासन के परिपत्र एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तारतम्य में आपका ध्यान मध्यप्रदेश में ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं। इन नियमों की अधिसूचना में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखे, लाउड स्पीकर, लोक संबोधन प्रणाली, संगीत प्रणाली सहित अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों का मानव के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि भारत एक सांस्कृतिक विविधता और भिन्न-भिन्न धार्मिक आस्थाओं का देश है, जहां लोग अपनी-अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार धार्मिक उत्सव मनाते हैं और अपनी आस्थाओं के अनुसार धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाकलाप करते हैं। इस सब क्रियाकलापों और उत्सवों में लोगों को सहभागी बनाने, उनकी सहभागिता को बढ़ाने और उत्सव के आनंद को बांटने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग भी किया जाता है। मंदिरों में आरती, मस्जिदों में नमाज तथा गिरिजाघरों में प्रार्थना के लिए सामान्य तौर पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग लंबे समय से किया जाता रहा है। धार्मिक पर्वों के अवसर पर इनका कई बार अनियंत्रित उपयोग किए जाने के कारण आम जन को होने वाली परेशानियों से बचाने के लिए इस संबंध में नियमों का पालन किया जाना बहुत जरूरी भी है।

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