भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में दो किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं को लेकर पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर जमकर निशाना साधा है, साथ ही उन्होंने खाद की कालाबाजारी के आरोप भी लगाए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के माध्यम से कहा है कि ‘मुख्यमंत्री के गृह जिले में किसान ने की आत्महत्या। पूरा जिला प्रशासन मामा जी की सेवा में लगा है। न किसानों का सर्वे हो रहा है और न मुआवजा मिल रहा। बीमा की तो उम्मीद ही छोड़ दो क्योंकि मामा और उसके कृषि मंत्री में कंपनियों से कमीशन को ले कर विवाद चल रहा है।’
उन्होंने कहा कि मैं शुक्रवार 04 सितम्बर को सीहोर जिले के उन दोनों परिवारों से मिलने जाऊंगा, जिनके परिवार में आत्महत्या हुई हैं। यह उनके परिवार जनों से जानने के लिए कि किन परिस्थितियों के कारण उन दोनों ने यह कदम उठाया।’ उन्होंने आगे लिखा है कि – ‘रमेश पुत्र गोपीलाल मालवीय जिसने फसल खराब होने से आत्महत्या की, उसके पुत्र ने यह जानकारी दी। शिवराज जी और आपके मंत्री जी सुनिए, रमेश मालवीय का दिमाग़ खऱाब नहीं था। आप अपनी जांच करा लें।’
दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि -‘फसल पूरी चौपट सीहोर जिला प्रशासन मुख्यमंत्री की सेवा में व्यस्त। उन्हें तो पद पर बने रहने के लिए मामा की सेवा में ही रहना है जनता जाए भाड़ में। शर्म करो शिवराज जी। मामा के ग्रह जिले में एक और किसान द्वारा आत्महत्या! रमेश पुत्र गोपीलाल ग्राम पंचायत कुर्ली कला तहसील जावर जिला सीहोर के पास 5 बीघा जमीन थी और 6 लाख का कर्ज था।’ उन्होंने आगे लिखा है कि – ‘2019 में 42,480 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। यह कोई और नहीं, एनसीआरबी का ही डेटा है। क्या ये सभी दिमाग़ी बीमारी से जूझ रहे थे मंत्री जी? आपने ही तो 2016 में भी कहा था कि भूत प्रेतों की वजह से हो रही हैं किसान आत्महत्याएं! खेत की स्थिति जब देखी तो राम जाने उनके दिमाग में क्या आया-उन्होंने फांसी लगा ली। क्या ये दिमाग खराब होने की निशानी है?
उन्होंने अगले ट्वीट में केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि – ‘मोदी जी ने 3 किसान विरोधी अध्यादेश जारी किए हैं जिनका उद्देश्य बड़े बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुँचा कर किसानों का और छोटे-मध्यम वर्गीय व्यापारियों का शोषण करना है। जितना जल्दी आप समझ कर इसका विरोध करें उतना अच्छा होगा। मैं इस बारे में लेख भी लिख रहा हूं।’
उन्होंने प्रदेश सरकार पर खाद की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया है कि -‘मैं जो कहता था वह सही साबित हुआ। मेरे 10 साल के कार्यकाल में एक बार भी खाद की कालाबाजारी की शिकायत नहीं आई, क्योंकि मेरे कृषि मंत्री सुभाष यादव जी सारी खाद सहकारी समिति से बंटवाते थे और जब से भाजपा राज में मध्यप्रदेश शासन ने निजी हाथों में सौंपा है किसानों को दिक्कत आने लगी।’