भोपाल। मप्र में हो रहे 28 सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भूमिका को लेकर बहुत बड़ा रिस्क मोल ले लिया है। प्रदेश में रहकर भी दिग्विजय सिंह को चुनाव से दूर रखना कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो परिणाम बताएंगे। लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया को छोड़कर कांग्रेस से जुडऩे वाले कांग्रेस के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता चुनाव के दौरान दिग्विजय सिंह की कमी जरूर महसूस कर रहे हैं। यह भी खबर है कि किसी बड़े नेता के न रहने से ग्वालियर चंबल संभाग में पिछले तीन दिन में कांग्रेस के चुनावी मैनेजमेंट कमजोर हुआ है। कमलनाथ और कांग्रेस का मानना है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयानों के कारण कांग्रेस का राजनीतिक रूप से नुकसान होता है। दिग्विजय सिंह के बयानों को लेकर भाजपा ऐसा माहौल बनाती है जिससे हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाता है। कमलनाथ व्यक्तिगत तौर पर यह भी मानते हैं कि दिग्विजय सिंह के भरोसे रहने के कारण ही उनकी सरकार चली गई। ऐसे में उपचुनाव में दिग्विजय सिंह को मैदान से पूरी तरह हटा दिया गया है। यह बात दूसरी है कि दिग्विजय सिंह पार्टी के रूठे नेताओं को मनाने का काम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में अभी तक कांग्रेस के केवल दो गुट काम करते थे इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के गुट सक्रिय थे। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद दिग्विजय सिंह गुट काफी उत्साहित था। उपचुनाव में दिग्विजय सिंह को लूप लाईन करने के बाद उनके गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं में संशय की स्थिति है। बहुत से नेताओं और कार्यकर्ताओं ने स्वयं को घरों में कैद कर लिया है।
सज्जन वर्मा को मिली चंबल की कमान
कमलनाथ ने ग्वालियर चंबल संभाग के मैनेजमेंट की कमान पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा को सौंप रखी है। वर्मा पिछले कुछ महीने से ग्वालियर चंबल संभाग में सक्रिय जरूर हैं, लेकिन वहां की तासीर से वाकिफ नहीं हैं। बताया जाता है कि इस क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह भी पूरी क्षमता से सक्रिय नहीं हुए हैं। टिकट वितरण में उनकी सुनवाई न होने से वे दुखी हैं। ग्वालियर के नेता अशोक सिंह इस समय कमलनाथ के सबसे नजदीक नेताओं में हैं, लेकिन अशोक सिंह के अकेले के भरोसे पूरे क्षेत्र का मैनेजमेंट होना संभव नहीं है।
भाजपा की स्थिति में सुधार
ग्वालियर चंबल संभाग में चुनाव की प्रारंभिक दौर में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ काफी विरोध था। लेकिन पिछले तीन-चार दिन में भाजपा के नेताओं ने इस विरोध को कम करने का प्रयास किया है। इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। भाजपा के नाराज नेताओं को मनाने का काम सुहास भगत ने काफी सफलता से कर लिया है। दूसरी ओर कांग्रेस के मैनेजमेंट को संभालने के लिए कोई बड़ा नेता अभी तक ग्वालियर में नहीं है जिससे कांग्रेस का चुनाव प्रचार बिखरता नजर
आ रहा है।
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