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    तबादलों के लिए बनेगी अब Digital Policy

  • November 27, 2021

    • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ऐलान… अब देने होंगे 5-6 विकल्प

    भोपाल। भाजपा संगठन द्वारा प्रदेश कार्यसमिति से पहले बुलाई गई वन-टू-वन बैठक में ज्यादातर विधायकों ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। यहां तक उनकी सिफारिश पर तबादले नहीं करने की बात कही। विधायकों के इन सवालों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सार्वजनिक रूप से तबादलों की इतनी सिफारिशें और शिकायतें आती हैं कि उन्हें मान लें तो स्कूल और अस्पताल खाली हो जाएंगे। इसलिए अब तबादलों की नई डिजिटल ट्रासपेंरेट पॉलिसी बनेगी। किसको कहां जाना है इसके लिए 5-6 विकल्प देने होंगे। अब इसी नीति के तहत ही तबादले होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के साथ कांग्रेस वाले भी ट्रांसफर करा लेते हैं। कई विधायक तो इतने तेज हैं, वे कांग्रेस की सरकार में भी ट्रांसफर करा लेते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सरकार ट्रांसफर के लिए ट्रांस्पेरेंट पॉलिसी बनाएगी। इसके तहत ही ट्रांसफर होंगे। उन्होंने भाजपा नेताओं खासकर विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए कहा कि विधायक ट्रांसफर कराने की सिफारिश करते हैं, या फिर शिकायत लेकर आते हैं। यदि सबकी बात मान लें, तो स्कूलों में न तो मास्टर बचेंगे और ना ही अस्पतालों में डॉक्टर बचेंगे।


    बिना कागज के नहीं आते विधायक
    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे विधायक आते हैं तो कागज लेकर आते हैं। बिना कागज के कोई विधायक नहीं आते। कागज में भी ज्यादा कागज तबादलों और शिकायत के होते हैं। इसलिए करने से पहले सोचना पड़ता है कि स्कूल, अस्पताल खाली नहीं हो जाएं।

    सीएमओ से लेकर हर मंत्री के पास है विधायकों की कुंडली
    मौजूदा सरकारी तबादला प्रक्रिया में यह चलन हैं कि सिफारिशों से ही तबादले होते हैं। ऐसे में ज्यादातर तबादले में विधायक, सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की सिफारिशें शामिल होती हैं। इसके बावजूद भी विधायक आरोप लगाते रहते हैं कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में हर मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक विधायकों की सिफारिश और शिकायतों पर होने वाले हर काम का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। किस विधायक और नेता की सिफारिश पर कितने तबादले किए गए इसकी जानकारी हर मंत्री और सीएमओ में रखी है। जरूरत पडऩे पर संगठन के सामने विधायक की कुंडली रखी जा सकती है। सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने तो यह व्यवस्था बना ली है कि वे हर काम में स्थानीय विधायक या अन्य किसी जनप्रतिनिधि की सिफारिश मांगते हैं।

    मुरलीधर के निशाने पर मीडिया
    प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर के निशाने पर मीडिया है। उन्होंने कहा कि कहा- एक बात समझ लीजिए.. मीडिया हमारा मित्र नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा एक बयान तोड़-मरोड़कर जनता के सामने पेश किया गया। मप्र भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव अपने बयानों को लेकर शुरू से ही विवादों में रहे हैं। शुरू में होने पांच-छह बार विधायक रहने के बाद भी टिकट की मांग करने वालों को नालायक बता दिया। हाल ही में उन्होंने ब्राह्मण एवं बनिया वोट को अपनी जेब में बताया।

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