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    राहुल गांधी की पसंद पर भारी पड़ी दिग्‍गी-कमलनाथ की यारी, अपने चहेते को यूं भेजा राज्‍यसभा

  • February 16, 2024

    नई दिल्‍ली (New Dehli)। मध्य प्रदेश में राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर चुनाव (Election on five seats)होने हैं। सत्ताधारी बीजेपी ने चार सीटों पर जबकि विपक्षी कांग्रेस (opposition congress)ने एक सीट पर उम्मीदवार (Candidate)उतारे हैं। कांग्रेस की तरफ से अशोक सिंह को कैंडिडेट बनाया गया है, जो दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। बड़ी बात यह है कि अशोक सिंह का चुनाव राहुल गांधी की पसंद पर भारी पड़ा है।

    दरअसल, राहुल गांधी पूर्व सांसद और अपनी विश्वासपात्र मीनाक्षी नटराजन को राज्यसभा चुनावों में कैंडिडेट बनाना चाहते थे लेकिन उनकी पसंद धरी की धरी रह गई और कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने अशोक सिंह का नाम फाइनल करवा दिया। एक तरह से सिंह नाथ और दिग्गी दोनों के संयुक्त उम्मीदवार बन गए थे, जबकि केंद्रीय नेतृत्व मीनाक्षी नटराजन के नाम पर अड़ा हुआ था। खैर अशोक सिंह ने इस लड़ाई में बाजी मार ली।

    कौन हैं अशोक सिंह

    अशोक सिंह ग्वालियर से लगातार चार बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर राजनीतिक विरोधी हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष हैं। वह मुख्य रूप से दिग्विजय सिंह खेमे के नेता माने जाते हैं। उनकी उम्मीदवारी के बचाव में यह तर्क दिया गया कि वह कठिन चुनावी मुकाबले में दूसरे स्थान पर रहे हैं लेकिन सिंधिया से कट्टर सियासी दुश्मनी उनकी योग्यता में चार चांद लगा गया। इसके अलावा उनका ओबीसी होना भी उनकी उम्मीदवारी के दावे को मजबूत बना दिया।

    ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी को बढ़ाने की जिम्मेदारी

    पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक अशोक सिंह भले ही दिग्विजय सिंह के करीबी और पसंद रहे हों लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उन पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी को बढ़ाने की जिम्मेदारी थी। बावजूद उनकी उम्मीदवारी पर पार्टी दो धड़ों में बंटती दिख रही थी। अंतत: कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पसंद बन चुके सिंह ने बाजी मार ली। इन दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से अशोक सिंह के लिए भोपाल से दिल्ली तक फील्डिंग की। दिग्गी के कहने पर ही नाथ ने अशोक सिंह को पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाया था।

    राहुल गांधी मीनाक्षी को भेजना चाहते थे सदन

    इसके विपरीत, राहुल गांधी उच्च सदन में मीनाक्षी नटराजन को भेजना चाहते थे। नटराजन 2009 में मंदसौर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई थीं लेकिन उसके बाद से दोनों चुनाव हार गई हैं। नटराजन राहुल गांधी की प्रमुख सहयोगी के रूप में काम करती रही हैं लेकिन नाथ ने अंतिम क्षण तक उनके नाम का विरोध किया। जब कमलनाथ ने नटराजन के नाम पर किसी तरह की नरमी दिखाने से इनकार कर दिया, तब केंद्रीय नेतृत्व को अशोक सिंह के नाम पर मुहर लगानी पड़ी।

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