जिस जिले से नौकरी की शुरुआत की थी, वहीं मिली आईजी की रैंक
इंदौर, वीरेंद्रसिंह सिसौदिया। कल मप्र कैडर के जिन दो आईपीएस अफसरों की पदोन्नति को हरी झंडी मिली है, उनमें इंदौर डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र की नौकरी की शुरुआत इंदौर जिले से हुई थी। अब वे इंदौर में ही पदस्थ रहते हुए 1 जनवरी को आईजी बनेंगे। कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा की गई कार्रवाई हमेशा सुर्खियों में रही, जिसमें नक्सलियों को पकडऩे से लेकर सांप्रदायिक तनाव से निपटना और फिर गुंडे-बदमाशों को सबक सिखाना शामिल है।
आईपीएस में सिलेक्शन होने के बाद 2003 में मिश्र इंदौर जिले के महू में ट्रेनी एसडीओपी रहे। यहां 3 से 4 माह की ट्रेनिंग के बाद वे नक्सली क्षेत्र बालाघाट में एसपी के रूप में पदस्थ हुए। यहीं से मिश्र के कारनामे सुर्खियों में रहने लगे। कई नक्सलियों का उनकी टीम ने एनकाउंटर किया। साथ ही उनकी टीम 30 नक्सलियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है, जिसके चलते मिश्र को सरकार ने अंतरिम सुरक्षा पदक से नवाजा। इसके बाद वे खंडवा एसपी भी रह चुके हैं। खंडवा जाने के बाद मिश्र ने एक फारेस्ट के मर्डर की फाइल खोलते हुए हत्यारों को न सिर्फ बेनकाब किया, जबकि आरोपियों को उम्रकैद की सजा भी दिलवाई। यहां सांप्रदायिक तनाव की स्थिति निर्मित होने पर हरिनारायणचारी मिश्र ने शांति व्यवस्था कायम रखने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके चलते उन्हें दोबारा सरकार ने सांप्रदायिक सौहार्द पदक दिया। मिश्र खंडवा से जबलपुर और फिर ग्वालियर में पदस्थ रहने के बाद इंदौर आए और आते ही गुंडे-बदमाशों के घर तोडऩे का कान्सेप्ट लागू करते हुए पूरे देश में सुर्खियों में रहे। मिश्र द्वारा शुरू की गई इस कार्रवाई को देखते हुए बाद में पूरे देश में राज्य सरकारों और पुलिस अधिकारियों ने इस कार्रवाई को दोहराया। इसके बाद मिश्र का सरकार बदलते ही भोपाल तबादला हो गया। मिश्र खरगोन डीआईजी भी रह चुके हैं।
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