उज्जैन। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव निपट चुके हैं और पंचायत चुनाव के लिए भी कल तीसरे चरण की वोटिंग होना है। इस बीच सरकार ने फिर घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ा दिए हैं। उज्जैन में पिछले 19 महीने में घरेलू गैस सिलेंडर की इस बढ़ोत्तरी के बाद 460 रुपए महँगा हो गया है। इतना ही नहीं आटा-दाल और चावल के दाम भी आम आदमी और मध्यमवर्गीय व्यक्ति को रुलाने लगे हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव निपटने के बाद महंगाई ने यू टर्न लिया और महंगाई का स्तर 70 साल के इतिहास में पिछले 19 महीनों में सर्वाधिक दर्ज हो चुका है। आर्थिक मामलों की कई रिपोर्ट तथा जानकार भी इसका खुलासा कर चुके हैं। केन्द्र में जब भाजपा की सरकार आई थी तो आम आदमी के अच्छे दिन लाने का वादा किया गया था। साल 2014 के चुनाव में यूपीए सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेर कर ही भाजपा केन्द्र में काबिज हुई थी। अच्छे दिन तो आए नहीं लेकिन इसके बाद से आम और मध्यमवर्गीय लोगों के बुरे दिन जरुर शुरू हो गए। लोगों का कहना है कि 19 महीने के अंतराल में ही सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 460 रुपए बढ़ा दिए हैं। हाल ही में 50 रुपए प्रति गैस सिलेंडर पर और बढ़ोत्तरी की गई है। सरकार एक ओर देश के 80 करोड़ लोगों को कोरोना काल से लेकर अब तक मुफ्त अनाज बाँट रही है, जबकि दूसरे हाथ से उनके साथ-साथ देश के गरीब औरव मध्यमवर्गीय लोगों से भी अधिक छीन रही है।
इधर गैस सिलेंडर के साथ-साथ आटा, दाल और चावल के लगातार बढ़ते दाम भी गरीब आदमी और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए परेशानी बनते जा रहे हैं। केन्द्र सरकार अब आटा, दाल, चावल जैसी बेहद जरुरी वस्तुओं पर भी जीएसटी थोपने जा रही है। ऐसे मेें इनका और महंगा होना तय है। पिछले 19 महीनों में ही रसोई गैस के साथ-साथ आटा, दाल और चावल के दाम भी बेतहाशा बढ़े हैं। महंगाई का आलम यह है कि बाजार में अब अन ब्रांडेड आटा 30 रुपए किलो, जबकि ब्रांडेड आटा 40 रुपए किलो तक पहुंच गया है। इसी तरह अनब्रांडेट तुअर, मूंग और अन्य दाले 95 रुपए प्रतिकिलो तो ब्रांड में यही दालें 120 रुपए प्रतिकिलो तक मिल रही हैं। अनब्रांडेड चावल भी अब 47 रुपए प्रतिकिलो तक पहुँच गया है और ब्रांडेड चावल 50 रुपए किलो से लेकर 150 रुपए प्रति किलो तक मिल रहे हैं। आम लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो अब आने वाले दिनों में वे आटा, दाल, चावल से भी महरूम हो जाएँगे।
उज्जवला योजना वालों ने टंकी लेना बंद किया
प्रदेश तथा केन्द्र सरकार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों में अक्सर सबसे पहले उज्जवला योजना का जिक्र करती है लेकिन उज्जैन में इस योजना को सरकार द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही महंगाई ही पलीता लगा रही है। जिले में लगभग 5 हजार गरीब लोगों को उज्जवला योजना के गैस सिलेंडर वितरित किए गए थे। एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इनमें से लगभग 4 हजार लोगों ने तो एक या दो बार गैस सिलेंडर लेने के बाद से एजेंसी आना ही बंद कर दिया है। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि 19 महीने में जिस तरह गैस सिलेंडर पर 460 रुपए बढ़े हैं, इसके कारण भी उज्जवला योजना में मुफ्त मिली गैस की टंकी झोपडिय़ों में रहने वाले गरीब नहीं भरवा पा रहे हैं फिर से अब उनके घरों से लकड़ी और कोयले का धुआं उठने लगा है।
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