भोपाल। मप्र कांग्रेेस कमेटी की प्रवक्ता एवं पूर्व महापौर श्रीमती विभा पटेल ने आरोप लगाए हैं कि मप्र में भारतीय जनता पार्टी ओबीसी; अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी है। यही वजह है कि भाजपा सरकार ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दे रही है। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर हाईकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। इसके बावजूद भी उच्च शिक्षा विभाग ने ओबीसी आरक्षण के अलग-अलग मापदंड तय किए हैं। ओबीसी को प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में 27 फीसदी आरक्षण नहीं देने पर हाईकोर्ट में 3 सितंबर को मुख्य न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल एवम सुजय पॉल की युगल पीठ सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नगरथ एवं रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह उपस्थित हुए। कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 सितंबर को शासन का पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
अपाक्स संगठन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा 18 जुलाई 2019 को विधानसभा से आरक्षण अधिनियम 1994 को संशोधित कर ओबीसी को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27आरक्षण देने का प्रावधान किया है। जिसके प्रवर्तन पर हाईकोर्ट की किसी भी प्रकार की रोक नही है। याचिका क्रमांक 5901/19 में पारित आदेश केवल पीजी नीट में एडमिशन से संबंधित था। उस आदेश से अन्य पाठ्यक्रमों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता है। श्रीमती पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 31 जुलाई को दो आदेश जारी किए गए। जो परस्पर विरोधाभाषी र्है। ग्रेज्यूशन पाठ्यक्रमों में 27 फीसदी आरक्षण तथा प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में 14 फीसदी आरक्षण दिया गया हैए जो असंवैधानिक है।
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