नई दिल्ली। बखमुत में चल रही भारी जंग के बीच यूक्रेन को तत्काल उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का सदस्य बनाने को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन में मतभेद पैदा हो गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आज से लिथुअनाई राजधानी विनियस में इस बात पर चर्चा करेंगे। हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन के सबसे मजबूत समर्थकों में से हैं, लेकिन वे सैन्य गठबंधन में शामिल होने की यूक्रेन की इच्छा पर दो-राह पर खड़े हैं।
वाशिंगटन को जहां यह चिंता सताती है कि इससे रूस और भड़क सकता है तो वहीं लंदन यूक्रेन को जल्द सदस्यता दिलाकर उसकी सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने का इच्छुक है। वहीं दुनिया के अन्य सभी पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि युद्ध समाप्त होने तक यूक्रेन इसमें शामिल नहीं हो सकता है। इसे इस प्रकार की गारंटी से कवर किया जा सकता है कि एक पर हमला सभी पर हमला है।
ब्रिटेन नाटो सदस्यता की शर्तों को पूरा किए बिना ही कीव को फास्ट-ट्रैक सदस्यता प्राप्त करने के लिए दबाव डाल रहा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने रविवार को सीएनएन को बताया कि यूक्रेन “अभी तक तैयार नहीं है” और यह स्पष्ट कर दिया कि सदस्यता युद्ध की समाप्ति से अधिक पर सशर्त है।
बाइडेन ने कहाकि नाटो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सभी योग्यताओं को पूरा करने में कुछ समय लगता है। उन्होंने कहा कि नाटो को सदस्यता के लिए लोकतंत्रीकरण से लेकर अन्य मुद्दों की पूरी श्रृंखला तक एक तर्कसंगत रास्ता तैयार करने” की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका इज़राइल को लंबे समय से प्रदान की गई सहायता के समान यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान कर सकता है। इसे लेकर नाटो शिखर सम्मेलन में चर्चा होनी है। यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाने और उसकी मदद आखिरी वक्त तक करते रहने का विकल्प तैयार करने को लेकर सभी देश अपने विचार देंगे।
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