निकट भविष्य में भी कोई उम्मीद नहीं
इंदौर। महू-इंदौर-फतेहाबाद-रतलाम रूट के विद्युतीकरण (electrification) को कई साल बीत चुके हैं, लेकिन रेलवे (railway) अभी भी इस रूट पर डीजल (Diesel) की ट्रेनें दौड़ा रहा है। डेमू (demu) के जो रैक चलाए जा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर पुराने हो गए हैं और अक्सर खराब हो जाते हैं। इधर, बार-बार आग्रह के बावजूद इंदौर से चलने वाली डेमू (डीजल मल्टीपल यूनिट) ट्रेनों को मेमू (MEMU) (मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) ट्रेनों में नहीं बदला जा रहा है।
बीते दो साल से महू-इंदौर-रतलाम रूट पर मेमू ट्रेन चलाने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन रेलवे बोर्ड स्तर पर मेमू के रैक रतलाम मंडल को नहीं दिए जा रहे हैं। दाहोद-रतलाम-उज्जैन रूट पर जरूर मेमू का एक रैक दौड़ रहा है, लेकिन इंदौर जैसे मंडल के सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन से एक भी मेमू ट्रेन संचालित नहीं की जा रही है। मेमू ट्रेन चलने का फायदा यह होगा कि ट्रेनों की गति बढ़ेगी, यात्रियों की यात्रा आरामदायक और सुविधाजनक होगी। इसके अलावा डीजल जलने से प्रदूषण कम होगा, साथ ही बिजली की ट्रेन से रेलवे की परिचालन लागत घटेगी। रतलाम मंडल के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि मंडल द्वारा लगातार मुख्यालय स्तर पर डेमू ट्रेनों की समस्या उठाई जा रही है, लेकिन बोर्ड से रैक नहीं मिलने से इस मामले में कोई प्रगति नहीं हो रही है। यदि राजनीतिक स्तर पर प्रयास हों, तो जरूर इंदौर को मेमू का नए रैक मिल सकते हैं।
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