इन्दौर। दो साल पहले 67 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला डीजल अब 82 रुपए प्रति लीटर के भाव तक पहुंच गया है, लेकिन यात्री बसों का किराया वहीं का वहीं है। इसको लेकर अब बस ऑपरेटर सरकार को ज्ञापन देने जा रहे हैं कि हमारा किराया बढ़ाया जाए, ताकि घाटे में जा रहे बस व्यवसाय को पटरी पर लाया जा सके। बस ऑपरेटरों ने 50 प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग की है। आज इसको लेकर इन्दौर आरटीओ जितेन्द्रसिंह रघुवंशी को भी ज्ञापन दिया जा रहा है। हालांकि बस ऑपरेटर काफी समय से यात्री किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
बस ऑपरेटर पहले टैक्स माफ करने की मांग कर रहे थे। इसमें उन्हें कामयाबी मिली और सरकार ने कोरोना काल का टैक्स माफ कर बस ऑपरेटरों को एक बड़ी राहत दी। इसके बाद अब बस ऑपरेटर यात्री बसों का किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बस ऑपरेटरों का कहना है कि पिछले दो सालों से महंगाई बढ़ी है और बसों की संचालन लागत भी बढ़ गई है। इसमें डीजल के साथ-साथ टायर, ऑइल, बसों के चेचिस, बॉडी बिल्डिंग, पाट्र्स, टोल टैक्स एवं अन्य सामग्री के दाम 50 से 55 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं।
2018 में सरकार की ओर से किराया बढ़ाया गया था, लेकिन पिछले दो साल से बस संचालन की दोगुनी लागत होने के बावजूद किराया नहीं बढ़ाया जा सका है। बस ऑपरेटरों ने कहा कि कोरोन काल में भले ही सरकार ने टैक्स माफ कर दिया हो, लेकिन बैंकों की किस्तें, ड्राइवर और कंडक्टर की सैलरी और अन्य खर्चों के कारण छोटे बस ऑपरेटर कर्जे में फंस गए हैं। इन्दौर प्राइम रूट बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद राठौर और अजयसिंह चौहान ने बताया कि आज दोपहर किराया बढ़ाने की मांग को लेकर इन्दौर आरटीओ को शाम 4 बजे ज्ञापन दिया जाएगा, जिसमें 50 प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग की जाएगी।
किराया बोर्ड की बैठक होने के बावजूद नहीं बढ़ रहा किराया
भोपाल में किराया बोर्ड की बैठक भी हो चुकी है और उसमें किराया बढ़ाने पर सहमति दी गई थी, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से बसों का किराया बढ़ाने की कोई पहल नहीं की गई। बस ऑपरेटरों का कहना हैकि अगर किराया बोर्ड की अनुशंसा भी नहीं मानी जाती है तो किराया बोर्ड बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है। बेहतर हो कि किराया बोर्ड की अनुशंसा लागू की जाए।
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