जबलपुर: बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) के नाम से मशहूर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) को अफसोस है कि उनका जन्म इस युग में क्यों हुआ. जबलपुर (Jabalpur) में श्रीमद् भागवत कथा (Srimad Bhagavat Katha) के दूसरे दिन उन्होंने समलैंगिक विवाह (LGBT) की चर्चा करते हुए कहा कि हमारा जन्म ऐसे युग में हुआ, जब लड़का ही लड़का से शादी कर रहा है. उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अब बड़े शहरों में इस तरह के विवाह आम हो गए. हालांकि कहा जा रहा है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान से एलजीबीटी समुदाय में नाराजगी भी हो.
सनातन धर्म के पोस्टर बॉय बने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आजकल आपने तीखे और मुखर बोल के कारण चर्चा में बने हुए हैं. जबलपुर में अपनी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन उन्होंने समलैंगिक शादी पर जमकर कटाक्ष किया. बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने अफसोस जताया कि अब तो सरकार ने भी इस तरह के विवाह को मान्यता दे दी है. बता दें कि जबलपुर के पनागर क्षेत्र में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्रीमद् भागवत कथा 25 मार्च से चल रही है. 27 मार्च और 28 मार्च को उनका दिव्य दरबार लगेगा और 31 मार्च को कथा का समापन होगा.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस विषय पर अपने प्रवचन में कहा-“भैया ठाकुर जी को पाना है तो किनको मनाना पड़ेगा, ठकुरानी को मनाना होगा. श्री राधा जी को मनाना होगा. किसी ने पूछा महाराज भगवान ने प्रेम तो राधा जी से किया पर विवाह रुकमणी जी किया, कारण क्या है? कोई कारण हो तो वो भगवान जानें, हमें तो एक ही कारण जान पड़ता है. विवाह दो लोगों में होता है. पर आजकल तो उल्टा जमाना आ गया है. हनुमान जी बचाए, ऐसे उल्टे जमाने से. आजकल तो लड़के ही लड़के से ब्याह कर रहे हैे. बिटिया ही बिटिया से ब्याह कर रही है.”
उन्होंने आगे कहा कि पहले का जमाना बहुत अच्छा था कि लड़के की शादी लड़की से होती थी. लेकिन आजकल तो कार्ड में पढ़ना पड़ता है कि लड़के की शादी लड़की से हो रही है या लड़के से हो रही है. हद ये है कि भारत सरकार ने भी मान्यता दे दी है कि ये करो. जय हनुमान जी, अच्छा जुग आ गओ है. हम तो एक दिन सोच रहे थे कि बताओ ऐसे युग में हमओ जन्म भओ. जब लड़के की शादी लड़के से हो रही है. बहुत विचित्र स्थिति आ गई. विदेश में तो यह बहुत चलता है लेकिन भारत में ऐसा नहीं चलता. अब तो हनुमान जी महाराज ही बचा सकते है.”
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगे यह भी कहा कि यह शहरों में होने लगा है. बड़े-बड़े शहरों में अब लड़के को विवाह करने के लिए लड़की की आवश्यकता नहीं है. वैसे व्यवस्था ठीक है. हमारे गांव में 2-3 रणुआ (अविवाहित पुरुष) हैं. एक दिन हम सोच रहे थे कि इनकी शादी नहीं हो रही. अब नहीं हो रही हो रही तो क्या करें? तो हमने बैठे-बैठे सोचा कि इनकी आपस मे ही शादी करा दे. कम से कम मर करके ब्रह्मा जी के पास जाएंगे तो यह तो नहीं कहेंगे कि उनकी शादी नहीं हुई थी.
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