मेरठ। क्रांतिधरा मेरठ (Krantidhara Meerut) में श्री हनुमंत कथा (Shri Hanumanth Katha) कहने आए बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) यहां हिन्दू एकता और हिन्दू राष्ट्र की क्रांति की नींव रख गए। कथा के अंतिम दिन उन्होंने पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं से दक्षिणा के रूप में हिन्दू एकता और हिन्दू राष्ट्र की क्रांति की अलख जागने का संकल्प वचन लिया। कहा कि 1857 में देश की आजादी की अलख जगाने वाले मेरठ से हिन्दू एकता और हिन्दू राष्ट्र की क्रांति की ज्वाला प्रज्जवलित होनी चाहिए। पांच दिवसीय हनुमंत कथा में आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मेरठ वीरों की भूमि है। क्रांति की भूमि है। हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की क्रांति मेरठ से उठेगी।
कहा कि मेरठ आकर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। हिंदू राष्ट्र आंदोलन की नींव मेरठ से रखने के साथ ही इसमें मेरठ के लोगों का साथ भी मांगा। दक्षिणा मांगी तो कथा में उपस्थित जनसमूह ने उन्हें हाथ उठाकर और जयकारों, चौपाइयों की गूंज के बीच भरोसा दिया कि हिन्दू राष्ट्र के लिए मेरठ से चिंगारी फूटेगी और देशभर में आंदोलन होगा। इसी के साथ हिन्दू एकता के लिए भी आश्वस्त किया। साथ ही घर पर हिन्दू राष्ट्र की ध्वज पताका लगाने को कहा।
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अगली बार सात दिन के लिए आएंगे मेरठ
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री मेरठ से खासे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि मेरठ महान है। यहां के लोग महान हैं। यहां हिन्दू भी हैं और कट्टर हिन्दू भी हैं। रामजी और बालाजी महाराज के भक्त हैं। उन्होंने कहा कि वह फिर मेरठ आएंगे और इस बार सात दिन रहेंगे और हनुमंत कथा करेंगे। दरबार भी लगाएंगे। कहा कि मेरठ की महान धरती पर आकर वह भी धन्य हो गए।
रामलला और अरुण गोविल को मिली जन्मभूमि
आचार्य धीरेंद्र शाखी ने कहा कि मेरठ जैसी भक्ति कहीं देखने को नहीं मिली। कथा में पहुंचे सांसद अरुण गोविल के लिए धीरेंद्र शाखी ने कहा कि रामलला और सांसद अरुण गोविल को अपनी अपनी जन्मभूमि मिली। कहा कि अयोध्या में रामलला को उनकी जन्मभूमि मिली तो वहीं सांसद अरुण गोविल जो मेरठ के ही रहने वाले हैं, यहां की जनता ने उन्हें जिताकर उनकी जन्मभूमि दी
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