लोहरदगा। रंगों का पर्व होली एक ऐसा त्योहार है कि पूरे देश में अलग अलग ढंग से लोग मनाते हैं। कहीं कहीं ऐसी होली मनाई जाती है कि कुछ अलग अलौकिक (supernatural) ही रहती है। जैसे कुमाऊं में होली गायन की विशिष्ट परंपरा (Holi Singing Tradition) है। यहां होली हुड़दंग नहीं, बल्कि उत्सव व उल्लास का पर्व है। हारमोनियम, तबला व मजीरे की जुगलबंदी में शास्त्रीय रागों पर मधुर होली गीत कानों में मिठास घोल देते हैं। गांव हो या शहर, आजकल हर तरफ यहीं नजरा है।
इस इसी तरह झारखंड में भी अलग ही तरह की होली मनाई जाती है। जिले के सेन्हा प्रखंड अंतर्गत बरही चटकपुर गांव का ढेला मार होली जिला भर में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य भर में प्रसिद्ध है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि साल संवत कटने के दूसरे दिन लोग धर्म के प्रति आस्था के साथ खूंटा उखाड़ने जाते हैं। इस समय लोग खूंटा उखाड़नेवाले को ढेला से मारते हैं।
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