मैं अमर शहीदों का चारण
उनके गुण गाया करता हूँ
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है,
मैं उसे चुकाया करता हूँ।
मुल्क की आज़ादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर देने वाले शहीदों के लिए जितना मरहूम श्रीकृष्ण सरल ने लिखा है उतना शायद ही किसी कवि या शायर ने लिखा होगा। ऐसे क्रांतिकारी कवि सरल जी के फज़ऱ्न्द धर्मेंद्र शर्मा सरल को आज शाम कला समय राष्ट्र आराधना सम्मान दिया जा रहा है। धर्मेंद्र शर्मा सरल में भी अपने क्रातिकारी साहित्यकार वालिद की खूबियां भरपूर नजऱ आती हैं। धर्मेंद्र जी ने कई क्रांतिकारियों या उनके साथियों के इंटरव्यू अपने स्कूली जीवन मे ही लिए। उन्हें एक किताब की शक्ल में शाया भी करवाया। आज़ाद हिंद फौज के कई सिपाहियों के इंटरव्यू इन्होंने लिए हैं। भगत सिंह -आज़ाद युग की गाथाओं पर आपकी किताब खासी चर्चित रही। धर्मेंद्र जी ने राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल साहित्य समिति बनाई है। ये आज भी क्रांतिवीरों पर लेखन करते हैं। वाणिज्य कर अधिकारी के ओहदे से सुबुकदोश हो चुके धर्मेंद्र भाई को महकमे ने अपनी जान पे खेल कर सवा सात करोड़ की चांदी जब्त कराने के लिए भारत सरकार ने पचास हज़ार रुपये का एजाज़ दिया था। करीब पचास सालों से क्रांति लेखन और रिसर्च कर रहे धर्मेंद्र शर्मा सरल को आज शाम साढ़े पांच बजे शहीद भवन में कला समय संस्कृति शिक्षा और समाज सेवा समिति की जानिब से कला समय राष्ट्र आराधना सम्मान दिया जाएगा। भोत भोत मुबारक हो धर्मेंद्र भाई। हिंदुस्तानी क्रांतिकारियों की तारीख से बावस्ता आपकी क़लम और इस उम्र में भी लेखन में आपकी मसरूफियत नोजवानों के लिए इबरत है।
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