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धारः भोजशाला में एएसआई सर्वे के 97वें दिन देवी मूर्ति सहित आठ पुरा अवशेष मिले

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench ) के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला (historical Bhojshala of Dhar) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) Department) का सर्वे (Survey) बुधवार को 97वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 11 अधिकारियों की टीम 35 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।


ज्ञानवापी की तर्ज पर जारी सर्वे के 97वें दिन भोजशाला के उत्तरी पूर्व हिस्से में दिनभर मिट्टी हटाने का काम चला। जहां पर खुदाई चल रही है, वहां पर लेवलिंग भी की गई। यहां मिट्टी हटाने के दौरान आठ अवशेष प्राप्त हुए हैं। इनमें देवी की एक खंडित मूर्ति है। यह काले पाषाण की है। दो पुरावशेषों में भगवान नृसिंह की आकृति दिखाई दे रही है, जबकि शेष पांच पुरावशेष अस्पष्ट हैं। उनकी सफाई के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। बुधवार को मिली देवी की खंडित मूर्ति का चेहरा दिखाई दे रहा है। नीचे का भाग भी स्पष्ट है, बीच का भाग खंडित है। यह किस देवी की मूर्ति है, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। सभी अवशेषों को एएसआई की टीम ने अपने संरक्षण में ले लिया है।

सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिन्दू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि बुधवार को भोजशाला के बाहरी उत्तर पूर्वी कोने, कमाल मौलाना दरगाह के पश्चिम से उत्खनन के दौरान 8 अवशेष प्राप्त हुए हैं। जिनमें माता के केवल चेहरे का सौम्य रूप है, कमर का हिस्सा है, साथ ही दो भगवान नर्सिंग की आकृति वाले अवशेष है। बाकी पांच मोल्डिंग के अवशेष हैं। उन्होंने कहा कि भोजशाला को समय-समय पर तोड़फोड़ करके भारी नुकसान पहुंचाया गया है। यह सर्वे से भी स्पष्ट हो गया है। इसके अलावा यहां से पूर्व में भी जो मूर्तियां मिली थीं, वे भी धार के किले व मांडू के संग्राहलय मे सुरक्षित हैं। सर्वे में उनको भी शामिल किया गया है।

37 मूर्तियां समेत 1700 अमूल्य धरोहरें बता रही हैं ऐतिहासिक भोजशाला की कहानी
मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश से 22 मार्च से भोजशाला में एएसआई का सर्वे शुरू हुआ था। गुरुवार, 27 जून को सर्वे का अंतिम दिन है। यहां 97 दिन से एएसआई की टीम ने एक दिन की छुट्टी लिए बिना काम किया है। एएसआई को दो जुलाई को कोर्ट में सर्वे की रिपोर्ट पेश करना है। प्रकरण में अगली तारीख चार जुलाई नीयत की गई है। ऐसे में वरिष्ठ अधिकारियों का पूरा फोकस रिपोर्ट तैयार करने में है। इसी कारण पिछले कुछ दिनों से अधिकारियों की संख्या भी सर्वे में कम है। मुख्य अधिकारी रिपोर्ट के दस्तावेजीकरण में जुटे हैं।

एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल प्रो. आलोक त्रिपाठी की अगुवाई में हुए इस सर्वे में अब तक 1700 से ज्यादा धरोहरें खुदाई में मिली हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं। मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति खास है, जो भोजशाला से लंदन ले जाई गई मूर्ति के समान ही बताई जा रही है। हालांकि आकार में यह छोटी है।

सर्वे के तहत की गई सफाई में भित्ति चित्र दिखाई दिए हैं। हिन्दू पक्षकार भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा कि सर्वे में अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खुदाई में अब तक 37 मूर्तियां मिल चुकी हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं। भगवान भैरवनाथ सहित मयूर पंख वाले कृष्ण, हनुमानजी, ब्रह्माजी की परिवार सहित मूर्तियां के अलावा जैन तीर्थंकर की मूर्तियां भी हैं। द्वार पर द्वारपाल की मूर्ति से लेकर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली हैं। 1700 पुरा अवशेषों में स्तंभों व दीवार के 575 टुकड़े बड़े आकार के हैं।

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