नई दिल्ली (New Delhi)। दुनिया भर में आंतक (Terrorism) सबसे बड़ा मुद्दा (biggest issue world) है। भारत (India) आतंकी गतिविधियां (terrorist activities) के लिहाज से काफी ज्यादा गंभीर है। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकवादियों का सबसे अधिक खतरा (biggest threat from terrorists) है। आतंकी खतरे के साथ-साथ खालिस्तानी गुट की बढ़ती गतिविधियां भी चिंता का विषय है। इस वजह से डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन (DGP-IGP conference) में आतंकी खतरे और खालिस्तानी गुट की गतिविधियों पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सम्मेलन से पहले देश के शीर्ष बड़े पुलिस अधिकारियों से चर्चा करेंगे। सम्मेलन में गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) भी शामिल होंगे।
जयपुर में पांच जनवरी से पुलिस अधिकारियों की बैठक
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में पांच जनवरी आज से डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन आयोजित होगा, जो तीन दिन चलेगा। सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में आतंक, साइबर अपराध और खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों पर प्रमुख रूप से चर्चा की जाएगी। यह सम्मेलन के प्रमुख विषय हैं। इसी के साथ तीन आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन, माओवाद, अंतर-राज्य पुलिस समन्वय और आम चुनावों में पुलिस की भूमिका जैसे तमाम मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।
सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तृत विमर्श
अधिकारी ने बताया कि सम्मेलन में डीजीपी-आईजीपी रैंक के 250 से अधिकारी सम्मेलन में शामिल होंगे। इसके अलावा करीब 200 से अधिक पुलिस अधिकारी वर्चुअल रूप से बैठक में शामिल होंगे। अलग-अलग अधिकारियों को आतंकवाद विरोधी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आंतकवाद, खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियां और उग्रवाद जैसे विष्यों पर प्रस्तुतियां देने के लिए अधिकृत किया गया है। इस सभी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां का सामना करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श होगा। 2013 तक यह बैठकें नई दिल्ली होती थी। लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद से आईबी और गृह मंत्रालय नई दिल्ली के बाहर कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
2014- गुवाहाटी
2015- कच्छ
2016- हैदराबाद
2017- टेकनपुर
2019- पुणे
2020- कोविड महामारी
2021- लखनऊ (हाइब्रिड मोड)
2023- नई दिल्ली
2024- जयपुर
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