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देवऋषि: नाद योग और वैदिक विज्ञान को पुनः परिभाषित करने वाले दार्शनिक

  • March 28, 2025

    भोपाल। देवऋषि (Devrishi) जिनका जन्म ऋषिकेश पांडे (Rishikesh Pandey) के रूप में हुआ, आज के दौर में एक अग्रणी दार्शनिक, मिस्टिक, लेखक और आध्यात्मिक शोधकर्ता के रूप में उभरे हैं। वे नाद योग रिसर्च काउंसिल (Naad Yoga Research Council) के संस्थापक (Leaders) हैं और वैश्विक नाद योग आंदोलन के प्रमुख नेतृत्वकर्ताओं में से एक हैं। वे वैदिक मंत्रों (Vedic Mantras) और ध्वनि चिकित्सा (Scientific Validation) की वैज्ञानिक पुष्टि और पुनरुत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। उनका कार्य सनातन संस्कृति, वैदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान को जोड़ता है, जिससे वे आध्यात्मिक विज्ञान और चेतना अध्ययन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन गए हैं।

    ऋषिकेश पांडे से देवऋषि बनने तक: एक आध्यात्मिक यात्रा
    देवऋषि को उनका आध्यात्मिक नाम उनकी माता द्वारा दिया गया, जो उनके सनातन धर्म और नाद योग से गहरे जुड़ाव का प्रतीक है। महाकुंभ में उनके आध्यात्मिक अनुभवों ने उन्हें वैदिक परंपराओं, ध्वनि चिकित्सा और आध्यात्मिक विज्ञान के प्रचार के लिए प्रेरित किया।


    नाद योग रिसर्च काउंसिल की स्थापना
    ध्वनि तरंगों की चिकित्सीय और चेतना-विस्तार क्षमता को समझते हुए, देवऋषि ने नाद योग रिसर्च काउंसिल (NYRC) की स्थापना की। यह संस्थान वैदिक मंत्रों, फ्रीक्वेंसी-आधारित चिकित्सा और ध्वनि थेरेपी पर वैज्ञानिक अनुसंधान को समर्पित है। यह परिषद प्राचीन ज्ञान को आधुनिक न्यूरोसाइंस और क्वांटम फिजिक्स के साथ जोड़कर नाद योग को आध्यात्मिक चिकित्सा और चेतना अध्ययन के क्षेत्र में वैश्विक मान्यता दिलाने के उद्देश्य से कार्य कर रही है।

    इतिहास, आध्यात्मिकता और विज्ञान को जोड़ने वाले लेखक
    देवऋषि ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं, जो इतिहास, अध्यात्म और दार्शनिक विचारों को जोड़ती हैं:

    • “रामराजा” – भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक और ओरछा में उनके शासन की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक गाथा।
    • “विक्रमादित्य श्रृंखला” – भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य पर पहली ऐतिहासिक श्रृंखला, जिसमें “शकरी विक्रमादित्य” और “सम्राट विक्रमादित्य” शामिल हैं।
    • “द कृष्णा इफेक्ट” – भगवान श्रीकृष्ण के दैवीय प्रभाव और उनके दार्शनिक महत्व पर केंद्रित एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ग्रंथ।
    • “नाद कॉस्मोलॉजी” – ध्वनि विज्ञान और इसके सृष्टि एवं चेतना में योगदान पर आधारित एक अनूठी पुस्तक।

    संगीत और सिनेमा में नाद योग का समावेश
    देवऋषि केवल एक दार्शनिक और लेखक ही नहीं, बल्कि एक संगीतकार और फिल्म निर्माता भी हैं। वे नाद योग और ध्वनि चिकित्सा को भक्ति संगीत और सिनेमा में शामिल कर रहे हैं। वर्तमान में वे “राम राज्याभिषेक” पर एक फिल्म के निर्माण में कार्यरत हैं, जो ऐतिहासिक सत्यता और आध्यात्मिकता को कला के माध्यम से प्रस्तुत करेगी।

    वैश्विक स्तर पर नाद योग को पुनर्जीवित करने का मिशन
    देवऋषि का उद्देश्य नाद योग को एक मुख्यधारा की विद्या के रूप में स्थापित करना है। वे ध्वनि चिकित्सा और वैदिक विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके अनुसंधान, शिक्षाएँ और कलात्मक योगदान विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, जिससे वे आधुनिक आध्यात्मिक और दार्शनिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन गए हैं।

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