भोपाल। अस्सी साल बाद बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) पर इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण सोमवार को पड़ा लेकिन भारत में इसका असर नहीं देखा गया। श्रद्धालुओं (devotees) ने भी इसका पूरा पुण्य लाभ उठाया है। इस दिन के शुभ संयोग महालक्ष्मी योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग को देखते हुए प्रदेश भर में जहां भी पवित्र नदियों के स्थान हैं, वहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में सुबह ही पुण्य लाभ (virtuous profit) लेने के लिए स्नान एवं दान करने नदियों के किनारे पहुंच गए। महाकाल की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा तट पर ओंकारेश्वर, नर्मदापुर, महेश्वर, जबलपुर समेत अनेक नर्मदा नदी के किनारों पर भोर से ही श्रद्धालुओं ने आना शुरू कर दिया था। लोग स्नान के बाद दान कर बुद्ध पूर्णिमा का पुण्य लाभ लेते हुए देखे गए।
उल्लेखनीय है कि सनातन धर्म (eternal religion) में वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मिलता है। भगवान बुद्ध, नौवें अवतार हैं। श्रीमद् भागवत महापुराण (1.3.24) तथा श्रीनरसिंह पुराण (36/29) के अनुसार भगवान बुद्ध लगभग 5000 साल पहले इस धरती पर आये थे। यही कारण है कि सनातन धर्म से जुड़े सभी शास्त्रों में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
आचार्य दुबे का कहना था कि वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का अधिक महत्व है। इस दिन श्रद्धलु पूर्णिमा का व्रत करते हैं। गंगा घाट पर स्नान करने से जीवन में सुख-शांति आती है। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं और भगवान बुद्ध को प्रणाम करते हैं। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। ध्यान रहे बिना चंद्र दर्शन के पूर्णिमा का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। इसलिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना के साथ चंद्र दर्शन करना चाहिए।
इनके साथ ही दर्शन के विद्वान डॉ. राजेश शर्मा का कहना है कि आज के दिन भगवान बुद्ध के उपदेश का अनुसरण उनके सभी अनुयायियों बल्कि कहना चाहिए कि समस्त मानवजाति के लिए महत्व रखता है। दुनिया भर में रह रहे सभी सनातनियों की कोशिश यही रहना चाहिए कि वे बुद्ध के बताए रास्ते को अपने जीवन में धारण करें।
डॉ. शर्मा का कहना था कि बुद्ध ने जो दर्शन दिया उसे यदि सार रूप में कहा जाए तो वे कहते हैं कि एक हिंसक पशु से ज्यादा खतरनाथ धोखेबाज और दुष्ट मित्र होता है । वह आपके विवेक और बुद्धि को भी हानि पहुंचाता है. ऐसे दोस्तों से तो दूर ही रहना चाहिए । आप किसी पर शक या संदेह न करें. ऐसा करने से रिश्ते टूटते हैं, चाहें वह मित्रता ही क्यों न हो। व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए क्योंकि क्रोध की सजा नहीं मिलती है यद्यपि क्रोध से सजा प्राप्त होती है।
वहीं, बुद्ध का दर्शन हम सभी को बताता है कि मोह और माया के बंधन से मुक्त रहना चाहिए, जो जितने लोगों को प्रेम करते हैं, वे उतने ही लोगों से दुखी भी रहते हैं, जो प्रेम रहित हैं, वे संकट से मुक्त हैं। खुद पर जीत हासिल करना हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर है क्योंकि वह जीत आपकी होगी। आपकी किसी दूसरे से घृणा करके घृणा को खत्म नहीं कर सकते हैं. घृणा को सिर्फ प्रेम से खत्म किया जा सकता है। इस संसार में तीन को कभी छिपाया नहीं जा सकता है, वे हैं सूर्य, चंद्रमा और सत्य। वास्तव में सत्य कभी ना कभी अवश्य ही उद्घाटित होता है, इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वे सदैव सत्य को ही जीवन में धारण करे।
(एजेंसी/ हि.स.)
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